जर्मनी में आर्थिक मंदी की शुरुआत हो गई जिससे दुनिया की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के डूबने की कगार पर पहुँचने के संकेत मिले। जिसकी वजह से यूरो गिर गया। जबकि डॉलर में उछाल दर्ज की गई। बताया गया कि जर्मनी में मंदी का संकट मंडरा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक़ इस साल की पहली तिमाही में जर्मनी की GDP बढ़ने की बजाय 0.3% कम हो गई। यानी GDP विकास दर मायनस में पहुँच गई। जबकि साल 2022 की आख़िरी तिमाही में भी जर्मनी की GDP 0.5% घटी थी।
पिछले साल ऊर्जा संकट को GDP गिरने की वजह माना जा रहा था। लेकिन अब कहा जाने लगा है कि रूस के बिना यूरोप की अर्थव्यवस्था का चलना मुश्किल है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फ़िच ने भी जर्मनी की अर्थव्यवस्था के आंकड़ों पर चिंता जताई। और संयुक्त राज्य अमेरिका की “AAA” ऋण रेटिंग को नकारात्मक वॉच श्रेणी पर रखा गया है।