RAHUL IN RAEBARELI: रायबरेली की सीट देश की सबसे हॉट सीट बन चुकी है। यहां अमित शाह ने कांग्रेस के किले में सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। यूपी में कांग्रेस पार्टी अपनी जमीन बचाने की सबसे बड़ी जंग लड़ रही है!
रायबरेली के अंदर गृहमंत्री अमित शाह की सभा ने राहुल गांधी (RAHUL GANDHI IN RAEBARELI) के खेमे में हड़कंप मचा दिया है। साल 2019 में अमेठी से हारने के बाद कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट को सुरक्षित सीट मानकर चुना। लेकिन अब अमित शाह (AMIT SHAH IN RAEBARELI) ने गांधी परिवार पर सीधा हमला करके और कई बड़े सवाल पूछ कर रायबरेली ही नहीं पूरे देश राजनीति को गर्मा दिया।
इसे भी पढ़िए:SURAT ARREST: नूपुर शर्मा, टी राजा को मारने की साजिश रचने का भंडाफोड़, एक करोड़ की सुपारी देने वाला मौलाना गिरफ़्तार
रायबरेली ना सिर्फ राहुल गांधी (RAHUL IN RAEBARELI) बल्कि प्रियंका गांधी (PRIYANKA GANDHI) के लिए भी एक परीक्षा की सीट है। क्योंकि राहुल गांधी के लिए वोट मांगने का काम रायबरेली के अंदर प्रियंका गांधी भी कर रही हैं। साल 2019 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अंदर सिर्फ एक सीट जीती थी और वो सीट थी रायबरेली । इस सीट को बचाना कांग्रेस के लिए करो या मरो की लड़ाई है । इसीलिए अमित शाह ने रायबरेली के अंदर कांग्रेस के किले में राहुल गांधी और कांग्रेस पर सबसे बड़ा हमला बोला है
रायबरेली गांधी परिवार के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
- रायबरेली की सीट से साल 1952 में सबसे पहला चुनाव फिरोज गांधी ने लड़ा था
- जो राहुल गांधी के दादा और इंदिरा गांधी के पति थे
- इसके बाद साल 1957 में फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीता
- 1967 और 1971 में इंदिरा गांधी यहां से चुनाव लड़कर जीतीं
- 1977 में इंदिरा गांधी यहां से चुनाव लड़ी लेकिन राज नारायण से हार गईं
- 1980 में इंदिरा गांधी ने तीसरी बार यहां से चुनाव जीता
- 1984 तक लगभग 24 सालों तक रायबरेली पर गांधी परिवार का कब्जा रहा
लेकिन रायबरेली पहुंचे अमित शाह ने कांग्रेस से कई सवाल पूछे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से पूछा कि आखिर गांधी परिवार (GANDHI FAMILY) ने रायबरेली के लिए इतने सालों में क्या काम किया। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के रायबरेली से भी चुनाव हारने का दावा किया।
साल 2004 में जब सोनिया गांधी (SONIA GANDHI) उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में उतरीं तो उन्होंने रायबरेली सीट को चुना । 2004 में सोनिया गांधी चुनाव जीतीं और इसके बाद साल 2009 साल 2014 साल 2019 में सोनिया गांधी को यहां से भरपूर समर्थन मिला । लेकिन इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही हैं सोनिया गांधी पहले ही राज्यसभा के रास्ते संसद में अपनी सीट पक्की कर चुकी हैं।
रायबरेली का इतिहास
- 1952 में फिरोज गांधी ने चुनाव लड़ा (फिरोज गांधी, राहुल गांधी के दादा और इंदिरा गांधी के पति थे)
- 1957 में फिरोज गांधी दोबारा चुनाव लड़े
- 1967 और 1971 में इंदिरा ने चुनाव लड़ा
- 1977 में इंदिरा गांधी को राज नारायण ने हराया
- 1980 में इंदिरा ने चुनाव जीता
- 1984 तक लगभग 24 साल गांधी परिवार का क़ब्ज़ा
सोनिया के फैसले पर प्रधानमंत्री मोदी ने तंज भी कसा था और कहा था कि कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेता अब चुनाव लड़ने का हौसला भी खो चुके हैं लेकिन गांधी परिवार शायद पहले ही तय कर चुका था कि रायबरेली की सीटसे अब राहुल गांधी को चुनाव में उतारना है और वायनाड में मतदान पूरा होने के बाद राहुल गांधी को रायबरेली से (RAHUL IN RAEBARELI) उम्मीदवार घोषित कर दिया गया । यूपी की सबसे हॉट सीट पर बीजेपी की ताकत ने मुकाबला रोमांचक बना दिया है
अगर रायबरेली की बात करें तो यहां पर 12.13% मुस्लिम आबादी है। यहां पर दलित आबादी लगभग 34 फीसदी है । एक अनुमान के मुताबिक यहां पर करीब 11 फ़ीसदी ब्राह्मण, 9 प्रतिशत राजपूत और 7% यादव वोटर है। अगर कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश के अंदर अपनी जमीन बचा कर रखनी है तो उसे रायबरेली की सीट जितनी ही होगी।
रायबरेली का गणित
- मुस्लिम 12.13%
- दलित 34 %
- ब्राह्मण 11 %
- राजपूत 9 %
- यादव 7 %
इस वक्त सबके मन में यही सवाल है कि आखिर चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों पर कौन आगे चल रहा है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या दलित समाज राहुल गांधी को रायबरेली में (RAHUL IN RAEBARELI) में अपना समर्थन देगा।