रूस के पास दुनिया भर में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं। रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे विध्वंशक परमाणु बम है। इसके बवजूज रूस 2023 में सबसे अधिक जोर अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर देने जा रहा है। रूस अपने न्यूक्लियर फ़ोर्स के रखरखाव पर सबसे ज्यादा खर्च करने जा रहा है।
परमाणु हथियार के रखरखाव पर रूस के खर्च
सीपरी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में रूस परमाणु हथियारों पर 1080 करोड़ डॉलर खर्चा किया था, जो साल 2020 में कम होकर 800 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया था। लेकिन अब 2023 में रूस एक बार फिर परमाणु हथियारों पर खर्च बढ़ाने जा रहा है। सीपरी का दावा है कि रूस ने साल 2011 से 20 तक के परमाणु रणनीति को ऐसे वक्त में तय किया था जब रूस के हालात बहुत अच्छे नहीं थे। उस वक्त रूस नए हथियारों को हासिल करने में असमर्थ था, लेकिन अब हालात काफी हद तक बदल गए हैं। रूस ने अपने न्यूक्लियर फ़ोर्स को बड़े पैमाने पर आधुनिक किया है।
अभी भी सबसे ज्यादा खर्च कर रहा अमेरिका
अब रूस जिस परमाणु रणनीति को आगे बढ़ा रहा है उसे 2018 से 2027 तक के लिए तय किया गया है। इस रणनीति के मुताबिक सामरिक परमाणु बलों में सुधार रूस की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। स्टेटिस्टा रिसर्च डिपार्टमेंट की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में अमेरिका ने परमाणु हथियारों पर लगभग 3740 करोड़ डॉलर खर्च किए थे जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है। चीन ने 1300 करोड़ डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर रहा, वहीं रूस ने 2020 में 800 करोड़ डॉलर ही परमाणु हथियारों पर खर्च किए थे
परमाणु युद्ध से दुनिया के हर एक देश खौफ खाते हैं, क्योंकि परमाणु बम एक ऐसा हथियार है जिसका काट सिर्फ परमाणु बम ही है। न्यूक्लियर बम का जवाब सिर्फ न्यूक्लियर बम से ही दिया जा सकता है, या फिर युद्ध में हार मान कर। यही वजह है कि दुनिया के सुपरपावर परमाणु हथियारों की ताकत बढ़ाने में जुटे होते हैं।
सबसे अधिक अमेरिका ने किया परीक्षण
रूस ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 29 अगस्त 1949 को और आखिरी बार 24 अक्टूबर1990 को किया था। रूस ने अब तक कुल 715 परमाणु परीक्षण कर चुका है जिसमें 496 अंडरग्राउंड रहे हैं । दुनिया में अब तक 2059 परमाणु परीक्षण हुए हैं, इनमें सबसे अधिक 1030 परमाणु परीक्षण अमेरिका ने किया है
रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी कई बार दोहरा चुके हैं कि 2023 में रूस का सबसे अधिक जोर अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर रहने वाला है। रूस की न्यूक्लियर फ़ोर्स की बुनियादी ढाचे को और बड़ा बनाने पर रहने वाला है। वही पुतिन के दोस्त और चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग भी इसी न्यूक्लियर लाइन पर आगे बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि NATO सहित पेंटागॉन की नजर रूस और चीन की परमाणु बढ़त है। जो वर्ल्ड ऑर्डर बदल सकता है।