Aditya-L1 Solar Mission: क्या है आदित्य-L1 मिशन? कितने दिनों में सूर्य तक पहुँचेगा और कैसे अपना काम करेगा? जानिए पूरी जानकारी

चंद्रयान-3 को चॉंद पर मिली कामयाबी के बाद अब ISRO सूर्य को समझने के लिए मिशन की तैयार कर रहा है। 2 सितम्बर को ISRO सूर्य के क़रीब अपने यान आदित्य L1 को सूर्य के क़रीब भेजेगा। मिशन मून के लिए चंद्रयान-3 ने 3 लाख किलोमीटर की दूरी तय की। सूर्य को समझने के लिए आदित्य L1 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा।

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Aditya-L1 Solar Mission: आदित्य-L1 की लॉन्चिंग को लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ी हुई है। धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद इस मिशन का अगला पड़ाव क्या होगा, कैसे सूर्य का अध्ययन होगा, इसकी एक डिटेल रिपोर्ट आप पढ़िए।

सूर्य एक जलते हुए आग के गोले की तरह है। धरती के सबसे क़रीब का वो तारा है जिसकी वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ। अगर सूर्य की रोशनी धरती पर ना पड़े तो धरती पर जीनव संभव नहीं होगा। लेकिन कई जानकारों का मानना है कि एक वक्त ऐसा भी आ सकता है जब सूर्य से निकलने वाली सौर हवाओं की तीव्रता इतनी तेज़ हो जाए कि पृथ्वी और इसकी कक्षा में काम करने वाले सैटेलाइट्स काम करना ही बंद कर दे। सूर्य की इसी सौर ऊर्जा और उसके तापमान को समझने के लिए आदित्य L1 (Aditya-L1 Solar Mission) सूर्य के क़रीब पहुंचकर इसकी जानकारी जुटाएगा।

नेहरू तारामंडल के एक्सपर्ट प्रेरणा चंद्रा ने बताया कि चंद्रयान-3 काफी सफल रहा। चंद्रमा के बाद अब सूर्य पर भारत का पहला मिशन जा रहा है जो सूरज के आंकड़ों को लेगा। हम सब जानते हैं कि सूरज एक आज का गोला है। सूरज से आने वाली रेज़ कितनी हानिकारक है हम सब जानते हैं। वो हम तक नहीं आती मैग्नेटिक फील्ड उसे रोक सकते हैं।

आदित्य एल- 1 (Aditya-L1 Solar Mission) को पृथ्वी से सूर्य की ओर क़रीब 15 लाख किलोमीटर पर स्थित लैग्रेंज-1 पॉइंट तक पहुंचना है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है। आदित्य एल-1 को जिस लैग्रेंज-1 पॉइंट पर भेजा जाएगा वो 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने में इसे करीब 120 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। धरती और सूर्य के बीच कुल पांच लैग्रेंज पॉयंट है। इस पॉयंट पर गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। मतलब अंतरिक्ष यान कम ईंधन में सूर्य के चक्कर लगा सकता है।

हालांकि आदित्य एल-1 मिशन (Aditya-L1 Solar Mission) को सभी पांच लैग्रेंज पॉयंट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। लेकिन मिशन को कामयाब बनाने के लिए ये जरूरी है कि आदित्य एल-1 उस पॉयंट पर भेजा जाए। जहां मिशन के सफल होन की संभावना ज़्यादा हो और जटिलताएं कम। आदित्य एल1 सूर्य के फ़ोटोस्फ़ेयर यानी सूर्य का वो हिस्सा जिसे हम देख सकते हैं। सूर्य का बाहरी वायुमंडल क्रोमोस्फ़ेयर यानी फ़ोटोस्फेयर के ठीक ऊपर वाली सतह और कोरोना जो सूर्य से कुछ हज़ार किलोमीटर ऊपर है। इसके चुंबकीय क्षेत्र, टोपोलॉजी और सौर वायु के बारे में जानकारी जुटाएगा।

आदित्य L1 (Aditya-L1 Solar Mission) एक observatory है , इसको वहाँ पहुँचने में 4 महीने लगेंगे क्यूँकि L1 point 1.5 मिलियन km दूर है। इसको ख़ास ऐलोय से कवर किया गया है ताकि इस पर सूरज की गर्मी का असर ना हो। इसरो के मुताबिक इस मिशन का लक्ष्य क्रोमोस्फ़ीयर, कोरोना, सूर्य के तापमान, कोरोना के तापमान, कोरोनल मास इजेक्शन, सूरज से निकलने वाली आग के निकलने के पहले और बाद की गतिविधियों, अंतरिक्ष मौसम जैसी जानकारियां जुटाएगा।

आदित्य एल- 1 (Aditya-L1 Solar Mission) अपने साथ सात पेलोड अपने साथ ले जाएगा। इनमें से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नज़र बनाए रखेंगे और तीन पेलोड लैग्रेंज- 1 पर कणों और दूसरी गतिविधियों पर शोध करेंगे। सूर्य की जानकारी जुटाने के लिए आदित्य एल- 1 को लॉन्च कर भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी इस तरह का मिशन सूर्य की जानकारी जुटाने के लिए भेज चुकी है।

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Aditya-L1 Solar Mission : मिशन आदित्य-L1 

  • पेलोड 7
  • रिमोट सेंसिंग पेलोड 4
  • इन सिटु पेलोड 3
  • क्रोमोस्फीयर का निरीक्षण
  • कोरोना सौर वातावरण का निरीक्षण

कैसे काम करेगा आदित्य L-1?

  • 7 स्पेशल पेलोड से लैस होगा आदित्य-L1
  • पेलोड सूर्य की किरणों की जाँच करेगा
  • सौर तूफ़ान से जुड़ी जानकारी जुटाएगा
  • आदित्य-L1 में HD कैमरे लगे होंगे
  • सूर्य की हाई क्वॉलिटी तस्वीरें मिलेंगी

मिशन आदित्य-L1 से क्या हासिल होगा?

  • सूरज के तापमान की जानकारी
  • सौर तूफ़ान की जानकारी
  • कोरोना लेयर की गतिशीलता
  • कोरोनल मास इजेक्शन
  • अंतरिक्ष के मौसम की जानकारी
  • अल्ट्रावॉयलेट किरणों का प्रभाव
  • ओज़ोन परत पर पड़ने वाला प्रभाव

Aditya-L1 Solar Mission: आदित्य-L1 पॉयंट पर क्यों?

  • L1 पॉयंट को लैग्रेंज पॉयंट कहते हैं
  • 2 ग्रहों के बीच का ख़ास पॉयंट है
  • गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फ़ोर्स के बराबर
  • स्पेसक्राफ़्ट को कम ईंधन की ज़रूरत होती है
  • L1 को वैज्ञानिक अंतरिक्ष की पार्किंग भी कहते हैं

‘आदित्य’ के पेलोड का काम क्या?

  • पहला  पेलोड VELC-    सूर्य की हाई डेफ़िनेशन फ़ोटो लेगा
  • दूसरा पेलोड SUIT-    सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट वेवलेंथ की तस्वीरें लेगा
  • तीसरा पेलोड SoLEXS-   सूर्य से निकलने वाली एक्स-रे का अध्ययन करेगा
  • चौथा पेलोड  HEL1OS- हार्ड एक्स-रे किरणों की जानकारी जुटाएगा
  • पांचवां पेलोड ASPEX-  प्रोटॉन और अल्फ़ा पार्टिकल का अध्ययन करेगा
  • छठा पेलोड  PAPA-    सूर्य से निकलने वाली गर्म हवाओं का अध्ययन करेगा
  • सातवां पेलोड MAG-   मैग्नेटिक फ़ील्ड का अध्ययन करेगा

Aditya-L1 Solar Mission : ISRO का सोलर मिशन

मिशन का नाम क्या है?
आदित्य-L1

मिशन कब शुरू?
2 सितम्बर को लॉन्च

क्या करेगा आदित्य-L1?
सूर्य के बारे में जानकारी जुटाएगा

क्यों ज़रूरी है मिशन?
सूर्य से ही पृथ्वी पर जीवन

कहां तक जाएगा आदित्य-L1?
पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर L-1 पॉयंट

L1 पॉयंट को क्या कहते हैं?
लैग्रेंज पॉयंट कहते हैं

कितने दिनों में L-1 पॉयंट पहुँचेगा?
127 दिन में पहुँचेगा

सूर्य के क़रीब कितने लैग्रेंज पॉयंट?
सूर्य के चारों तरफ पाँच लैग्रेंज पॉयंट हैं

पृथ्वी से कितनी दूर है सूर्य?
15 करोड़ किलोमीटर दूर

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