ईरान अफगानिस्तान सीमा पर जबरदस्त गोलीबारी, कई लोगों की मौत, 24 घंटे में ईरान जीतने का दावा, जानिए झगड़े की पूरी वजह

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तालिबान और ईरान के बीच युद्ध भड़क सकता है। क्योंकि सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। इन दोनों पड़ोसी मुल्कों के रिश्तों में तल्खी तब बढ़ गई जब सीमा पर दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। जिसमें 3 सैनिकों की मौत हो गई।

अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के बीच ये भिड़ंत जाबोल सीमा पर हुई। जिसकी वजह जल विवाद बताया जा रहा है। और इसी को लेकर ईरान और अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों के बीच सीमा पर भीषण गोलाबारी हो गई। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना का कहना है कि पहले अफगानिस्तान की तरफ से गोली चलाई गई। तालिबान के एक प्रवक्ता और ईरानी राज्य मीडिया के मुताबिक सीमा पर हुए संघर्ष में कम से कम दो ईरान सैनिक और एक तालिबानी की मौत हो गई। जबकि कई सैनिक घायल हो गए।

जिसके बाद ईरान, अफ़ग़ानिस्तान पर भड़का हुआ नज़र आया। और कहा कि तालिबानियों ने अंतरराष्ट्रीय कानून और अच्छे पड़ोसी के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। जिससे ईरान बहुत ज़्यादा नाराज़ हो गया और तालिबान को 2 टूक कह दिया कि अगर वो अफ़ग़ानिस्तान में एक स्थिर सरकार स्थापित करना चाहते हैं। तो उन्हें ईरान सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ रचनात्मक संबंध बनाने होंगे। उन्होंने काबुल में सत्तारूढ़ तालिबान को ये भी याद दिलाया कि ईरान ने पिछले दशकों में किसी भी दूसरे देश की तुलना में अफगानिस्तान के लोगों को सबसे ज़्यादा मदद की है।

लेकिन दशकों से ईरान से मिली मदद को नज़रअंदाज करते हुए तालिबान ने अपने पड़ोसी मुल्क को आंखें दिखाई और कहा कि तालिबान 24 घंटे के भीतर ईरान को जीत सकता है। तालिबान के मुताबिक, इस जंग की शुरुआत ईरान ने की थी। तालिबान के एक कमांडर अब्दुल हामिद खोरासानी ने कहा कि अगर उनके नेताओं ने मंजूरी दी। तो हम 24 घंटे के भीतर ईरान की राजधानी तेहरान पर क़ब्ज़ा कर लेंगे। खोरासानी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा जिस उत्साह के साथ हम अमेरिकियों के खिलाफ लड़े थे। उससे कहीं ज़्यादा जोश के साथ हम ईरान के खिलाफ लड़ेंगे। ईरान को तालिबानी नेताओं के धैर्य का शुक्रगुज़ार होना चाहिए।

तालिबान के लहजे से साफ़ है कि वो ईरान से दो-दो हाथ करने के मूड में है। दूसरी तरफ़ ईरान ने भी तालिबान की इस धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया। और कहा कि हमारी बॉर्डर फ़ोर्स हर हमले का करारा जवाब देगी। इसी के साथ ईरान ने भी लड़ाई में तालिबान को हराने का संकल्प ले लिया। जिसके बाद ये माना जा रहा है कि अगर तनाव और ज्यादा बढ़ा तो दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है। जिसके बाद ईरान की मुश्किल और ज़्यादा बढ़ जाएंगी क्योंकि अमेरिका और इजराइल के सात वो सीरिया में पहले से उलझा हुआ है। इस बीच अगर तालिबान के साथ उसे भिड़ना पड़ा तो इजराइल इस मौके का फ़ायदा उठाकर ईरान को भारी नुक़सान पहुंचा सकता है।

करीब एक महीने पहले ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने भी तालिबान को हेलमंद नदी में ईरान के जल अधिकारों का उल्लंघन नहीं करने की चेतावनी दी थी। लेकिन तालिबान ने ईरान की चेतावनी की परवाह नहीं की जिसकी वजह से जल विवाद बढ़ गया। इसी की वजह से सीमा पर गोलीबारी की नौबत आ गई और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। जिसके बाद तालिबान ने सीमा पर टैंकों और तोपों को भेजना भी शुरू कर दिया। अफ़ग़ानिस्तान से जो विडियो सामने आया उसमें ट्रकों पर तोपों को लादे कई ट्रक फर्राटा भरते नज़र आए। इरान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान इस लड़ाई में मिसाइल, तोपों और मशीन गन का इस्तेमाल कर रहा है। इनमें से ज्यादातर हथियार वो हैं जब 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी सेना वहां अपने हथियार छोड़ गई थी।

ईरान पिछले क़रीब 30 सालों से सूखे की मार झेल रहा है। पिछले कुछ सालों में सूखे वाले इलाकों का रकबा और ज़्यादा बढ़ा है। UN के फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, ईरान में पिछले कुछ सालों में सूखे से हालात और बदतर हो गए। मौजूदा वक्त में इरान का करीब 97% हिस्सा कुछ हद तक सूखे का सामना कर रहा है। ईरान में हर साल 240 से 280 मिलीमीटर ही बरसात होती है। ये वैश्विक औसत 990 मिलीलीटर से काफ़ी नीचे है।

हेलमंद नदी की पानी को लेकर विवाद

ईरान में दुनिया की करीब एक फीसद आबादी रहती है। लेकिन यहां दुनिया के ताजा पानी का सिर्फ 0.3% ही हिस्सा ही मौजूद है। वहीं बारिश से मिलने वाला 66% पानी भी नदियों में शामिल होने से पहले ही भाप बनकर उड़ जाता है। इसी वजह से इरान हेलमंद के पानी पर ज़्यादा निर्भर है जो अफ़ग़ानिस्तान से निकलती है।

दोनों देशों की सीमा पर बसे हामुन क्षेत्र के लिए हेलमंद नदी ही जिंदगी का इकलौता जरिया है। इसीलिए इरान और अफगानिस्तान के बीच 1973 में जलसंधि हुई थी। इसके तहत अफ़ग़ानिस्तान को हर साल ईरान को 820 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना है। इसी ट्रीटी के तहत अफ़गान सरकार बांध बनाने पर जोर देती रही है। लेकिन ईरान ये कहते हुए पीछे हट रहा है कि इस तरह के बांध बनाने से झीलों और दूसरे क्षेत्रों को नुक़सान पहुंचेगा। ईरान का आरोप है कि अफगानिस्तान उसे तय मानक से कम पानी सप्लाई कर रहा है। वहीं अफ़ग़ानिस्तान ने नदी का जलस्तर कम होने का तर्क दिया।

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