अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान राज के नियमों और क़ानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र भड़क गया। संयुक्त राष्ट्र ने वहां खुलेआम मौत की सज़ा देने और कोड़े मारने जैसी यातनाओं की आलोचना की। तालिबान सरकार से इस तरह की गतिविधियों पर फौरन पाबंदी लगाने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद से अब तक क़रीब 175 लोगों को मौत की सज़ा दी जा चुकी है। जिनमें दो लोगों को खुलेआम गोलियों से भून दिया गया। जबकि चोरी और शराब पीने जैसे अपराधों के लिए पिछले छह महीने में वहां सार्वजनिक रूप से 270 से ज़्यादा आदमियों और क़रीब 60 महिलाओं को कोड़े मारने की सज़ा दी गई।
इन्हीं मामलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान को लताड़ लगा दी। जिस पर तालिबान ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि ये अफ़ग़ानिस्तान का आतंरिक मामला है। वहां के विदेश मंत्रालय ने साफ़ कर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान के क़ानून इस्लामी नियमों के हिसाब से बनाए गए हैं। वहां बड़ी संख्या में लोग उन नियमों को मानते हैं। ऐसे में अगर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और इस्लामी क़ानून के बीच टकराव के हालात बनते हैं, तो तालिबान सरकार इस्लामी क़ानून का ही पालन करेगी। क्योंकि देश में सर्वोच्च अदालत और सर्वोच्च नेता की मंजूरी के बाद ही उन क़ानूनों को लागू किया गया है।