11 फरवरी को बरेली की जेल में शूटरों के साथ अतीक़ के भाई अशरफ की मीटिंग हुई। 9 लोगों के साथ अशरफ ने मर्डर के प्लान का खाका जेल के भीतर शूटरों को समझाया। उसके ठीक 13वें दिन उमेश पाल को गोलियों से छलनी कर दिया गया। पूरे शूटआउट को प्लान के मुताबिक़ अंजाम दिया गया। लेकिन इन दो घटनाओं के बीच में जो 12 दिन थे, उन 12 दिनों में क्या हुआ, अब उसका सच भी सामने आ चुका है।
प्रयागराज के जिस शूटआउट को अतीक ऐंड कंपनी ने ऑपरेशन जानू का नाम दिया था, उसका आखिरी खाका 23 फरवरी की रात में तैयार किया गया था। मतलब शूटआउट से ठीक चंद घंटों पहले इसकी अंतिम प्लानिंग हुई थी। इस दौरान अतीक का बेटा असद और पत्नी शाइस्ता भी मौजूद थी।
प्रयागराज शूटआउट के बाद पुलिस ने अतीक़ के घर पर काम करने वाले हेल्पर राकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की। हेल्पर राकेश ने बताया कि 23 फरवरी की रात शूटरों की पार्टी प्रयागराज के चकिया में हुई थी। पार्टी में अतीक़ का बेटा असद, पत्नी शाइस्ता और सभी शूटर मौजूद थे। राकेश के बयान की पुष्टि एक वॉट्सऐप चैट से भी हुई है, जो 23 फरवरी की ही है।
बताया जा रहा है कि असद ने पार्टी के लिए कुछ सामान लाने की लिस्ट वॉट्सऐप पर भेजी थी। पार्टी के लिए सामान हेल्पर राकेश और अतीक़ का नाबालिग बेटा लेने गए थे। पुलिस ने राकेश के फोन से वो वॉट्सऐप चैट भी बरामद की है।राकेश ने पुलिस को यह भी बताया कि असद अहमद ने कहा था कि ऑपरेशन जानू को अंजाम तक पहुंचाना है। लिहाजा आज रात घर पर तमाम मेहमानों के साथ पार्टी होगी। इस पार्टी के बाद अगले दिन ही ऑपरेशन जानू को अंजाम तक पहुंचा दिया गया।