रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के एक साल होने को है। पिछले साल 24 फ़रवरी को रूस ने यूक्रेन पर पहली बार हमला बोला था। उस वक्त रूस को पूरी उम्मीद थी कि ये युद्ध ज्यादा दिन नहीं चलने वाला और ज़ेलेस्की ज़्यादा से ज़्यादा एक हफ़्ते में अपने घुटने टेक देंगे। यही भरोसा कई देशों को भी था कि रूस के सामने टिकना यूक्रेन के बस की बात नहीं लेकिन देखते ही देखते ये जंग महाजंग में तब्दील होती चली गई।
इन एक साल में ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिलीं, जो आसमान से मौत बरसती रही, जमीन पर दहशत दौड़ती नजर आई, शहर के शहर बर्बाद होते दिखीं। लेकिन, फिर भी यूक्रेन ने जंग में घुटने नहीं टेके। यूक्रेन ने कई ऐसे इलाकों पर फिर से कब्जा कर लिया, जिनको रूस ने युद्ध की शुरुआत में हथिया लिया था। अमेरिका और नैटो देशों की मदद से लगातार यूक्रेन अपने बारूदी तहखाने को भरता चला गया और रूस के हर हमले का उसी के अंदाज में जवाब दिया।लेकिन युद्ध की वजह से यूक्रेन में तंगहाली की कहानी सामने आई है। जिसमें उसका ख़ज़ाना ख़ाली हो गया है और एक बार फिर से यूक्रेन ने रूस के हमलों से निपटने और देश के हालात सुधारने के लिए IMF से पैसों की डिमांड की है।
युद्ध की वजह से यूक्रेन को इस साल 3 लाख करोड़ से ज़्यादा के वित्तीय घाटे का अनुमान है। यूक्रेन को अमेरिका से 81 हजार करोड़ और यूरोपियन यूनियन से 1 लाख करोड़ रुपए की मदद मिलने वाली है। लेकिन, इसके बाद भी यूक्रेन को 82 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। बता दें कि युद्ध की वजह से 2022 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था 303% घट गई है, जबकी महंगाई दर 266 फीसदी तक पहुंच गई।
यूक्रेन ने IMF से एक बार फिर से मदद मांगी है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब IMF यूक्रेन की मदद के लिए आगे आया है। इससे पहले जंग के कुछ हफ्ते बाद ही IMF ने यूक्रेन को 11 हज़ार करोड़ का लोन दिया था, उसके बाद अक्टूबर में भी 10 हजार करोड़ रुपए की मदद की थी।