ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल तीन लोगों को फाँसी की सज़ा सुना दी गई। तीनों को ईरानी पुलिस ने उस वक़्त गिरफ़्तार किया था जब वो सरकार के ख़िलाफ़ हो रहे एक प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे। ईरान सरकार के आदेश के बाद माना जा रहा है कि बहुत जल्द तीनों को फाँसी के फन्दे पर लटका दिया जाएगा। असल में बीते एक साल से ईरान में सरकार के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी दौरान मजिद काज़मी, सालेह मीर हाशमी और सईद याक़ूब नाम के तीन युवकों को पकड़ा गया था।
IHR यानी ईरान ह्यूमन राइट्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि लोगों को प्रदर्शनों में हिस्सा लेने से रोकने और उनमें डर पैदा करने के लिए वहां मौत की सज़ा दी जा रही है। मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में बताया गया कि वहां दो लोगों को सिर्फ़ इसलिए फांसी दे दी गई क्योंकि उन्होंने हिजाब विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। यही नहीं पिछले एक साल में ड्रग्स से जुड़े अपराधों में भी काफ़ी लोगों को मौत की सज़ा दे दी गई।
ईरान ह्यूमन राइट्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि वहां पिछले 10 दिनों में 42 लोगों को फांसी दी गई। यानी 10 दिनों में हर 6 घंटे में एक आदमी को फांसी पर लटका दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़ 2023 की शुरुआत से लेकर अब तक वहां 194 लोगों को फांसी दे दी गई। IHR की रिपोर्ट में ये भी दावा गया कि एंटी हिजाब प्रदर्शन के बीच ईरान ने 2022 में 582 लोगों को फांसी की सज़ा दी थी। इनमें से 44 प्रतिशत लोग ड्रग्स, यानी नशीली दवाओं की तस्करी से जुड़े अपराधों के दोषी थे।
ईरान में अपराध छोटा हो या बड़ा, सज़ा सिर्फ़ एक ही है और वो है सज़ा ए मौत। जिसने अंतरराष्ट्रीय संगठनों की नींद उड़ा दी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन ने ईरान सरकार के फ़ैसलों पर सवाल उठाया है। और प्रदर्शनकारियों को मौत की सज़ा दिए जाने की कड़ी निंदा की है।