देश को नव्य, भव्य और दिव्य संसद भवन की सौग़ात मिली। प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया। पूरे विधि विधान और भारतीय संस्कृति की परम्पराओं के साथ नए संसद का उद्घाटन किया गया। PM मोदी को संतों ने आशीर्वाद दिया। तो उन्होंने उन श्रमजीवियों का अभिवादन किया जो नए संसद भवन के निर्माण में शामिल थे लेकिन जब पूरा देश आत्मनिर्भर भारत की नई संसद का स्वागत कर रहा था। जब पूरा देश इस जश्न में डूबा था। उस समय कुछ राजनीतिक दल अपनी सियासत को चमकाने में लगे थे। ख़ास तौर पर राष्ट्रीय जनता दल सियासत के निचले स्तर तक पहुंच गया। और लोकतंत्र के मंदिर की तुलना ताबूत से कर डाली
RJD ने दो तस्वीरें ट्वीटर पर साझा की, एक तरफ़ ताबूत की तस्वीर और दूसरी तरफ नई संसद की तस्वीर और लिखा कि ये क्या तस्वीर है। ज़ाहिर है RJD के ऐसे विवादास्पद ट्वीट के बाद सियासी घमासान तो होना ही था। सिर्फ़ BJP ने ही नहीं बल्कि विपक्ष की दूसरी पार्टियों ने भी RJD के ऐसी सोच पर क़रारा हमला किया।
नई संसद बनकर तैयार है, वही जगह जहां आनेवाले दिनों में पक्ष और विपक्ष के नेता, जनप्रतिनिधि देश को चलाने के लिए नीति निर्धारित करेंगे। लोकतंत्र उस मंदिर में संभवत: RJD के सांसद भी बैठेंगे। लेकिन उसी मंदिर की तुलना ताबूत से तरने के बाद और चारों ओर से आलोचना की शिकार हो रही RJD अपने इस बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
कई विपक्षी दल नई संसद के उद्घाटन समारोह से पहले से ही किनारा कर रहे थे। केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि वे राष्ट्रपति से नई संसद का उद्घाटन नहीं करा रहे। बहिष्कार की ये सियासत कहीं न कहीं विपक्षी दलों पर उल्टा पड़ रही थी। इसी बौखलाहट में कहीं न कहीं RJD ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया, ऐसा बयान दे दिया जो एक बार फिर उसी पर उल्टा पड़ने लगा है।