साल 2022 कई बड़ी सियासी उटलफेर, नई नवली पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी बनना और देश को पहली बार मिली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के लिए याद किया जाएगा। इसके साथ ही बीजेपी के लिए साल 2022 खट्टी मिट्टी भरी रही। आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास राजनीतिक घटनाओं पर जिन्होंने साल 2022 में सुर्खियां बटोरीं।
25 साल बाद गैर गांधी परिवार का सदस्य बना कांग्रेस अध्यक्ष
साल 2022 देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। कांग्रेस पार्टी को 25 साल बाद गांधी परिवार से इतर कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष मिला। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जु खरगे और शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला था। मल्किार्जुन खरगे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से हरा दिया। खड़गे को कुल 7897 वोट मिले जबकि शशि थरूर को महज 1072 वोट ही मिले। कर्नाटक से आने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा में नेता विपक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं.
कांग्रेस का भारत जोड़ो यात्रा
वहीं कांग्रेस के सांसद और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भी साल 2022 में खूब सुर्खियां बटोरी। लंबे अर्से बाद सियासत में ऐसी कोई पदयात्रा हो रही है। यह यात्रा 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई। 150 दिनों में 3570 किमी की दूरी तय कर यह यात्रा श्रीनगर में खत्म होगी। साल 2022 के अंत तक यह राजधानी दिल्ली पहुंच चुकी थी। माना जा रहा है कि कांग्रेस की खोई हुई राजनीतिक धार और सियासी वजूद को फिर से निखारने की कोशिश में राहुल गांधी लगे हैं, क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है
महाराष्ट्र में सियासी भूचाल
साल 2022 महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के लिए भी याद किया जाएगा, जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास अघाड़ी सरकार को नाटकीय घटनाक्रम के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया। उद्धव ठाकरे की अगुवाई में चल रही इस सरकार को उनकी ही पार्टी के नेता और सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे की शतरंजी चाल की वजह से बेदखल होना पड़ा, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 28 विधायक पहले तो गुजरात के सूरत गए, फिर वहां से गुवाहाटी चले गए, जो कई दिनों तक सियासी घटनाक्रम के तौर पर केंद्र में बना रहा। उद्धव खेमे की तरफ से मनाने की लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और बीजेपी के कद्दावर नेता, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
बिहार में नीतीश कुमार ने फिर बदला पाला
महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी सियासी उठापटक देखने को मिली, जब नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी से अलग हो गए और पाला बदलकर राष्ट्रीय जनता दल(RJD) के साथ हाथ मिला लिया। इसके बाद नीतीश कुमार रिकॉर्ड 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने। इससे पहले नीतीश कुमार ने 2013 में बीजेपी से नाता तोड़ा था और बाद में आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि बाद में 2017 में नीतीश ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ रातोंरात सरकार बनाई थी। लेकिन एक बार फिर से 2022 में बीजेपी से अलग होकर आरजेडी, कांग्रेस सहित 7 दलों की सरकार बनाई।
यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा में बीजेपी की सरकार बरकरार
साल 2022 में भी बीजेपी की विजय रथ बरकरा रही। मार्च 2022 में यूपी, उत्तराखंड और गोवा के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने अपनी सत्ता बनाए रखी। हाईवोल्टेज निगाहें यूपी के चुनाव पर थी जहां 2017 से योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार चल रही थी। बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही थी जिसकी अगुवाई अखिलेश यादव कर रहे थे। लेकिन चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया । बीजेपी को 255 सीटें और समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिलीं । वहीं उत्तरखंड में भी बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ, बीजेपी ने 47 तो कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की.. हालांकि, सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने युवा धामी पर ही भरोसा जताया और पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के एक बार फिर से सीएम बने। उधर गोवा में भी प्रमोद सांवत की अगुवाई में एक बार फिर बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही। गोवा विधानसभा की 40 सीटों में भाजपा को 20 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने क्षेत्रीय दल महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। सितंबर में कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। वहीं, मणिपुर में भी बीजेपी की एक बार फिर से सरकार बनी। मणिपुर में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस अपने अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ 5 सीटों पर सिमट गई थी।
आम आदमी पार्टी का जलवा
साल 2022 आम आदमी पार्टी के लिए ऐतिहासिक रहा। सबसे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने अविश्वसनीय जीत दर्ज की। यहां आम आदमी पार्टी ने राज्य की कुल 117 सीटों में से 92 सीटों पर जीत हासिल की और भगवंत मान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं, बीजेपी, सत्तारूढ़ कांग्रेस और अकाली दल को बुरी हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली के बाद पंजाब दूसरा राज्य बना, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनीं। इसके साथ ही आप पार्टी गोवा में 2 और गुजरात चुनाव में 5 सीट जीतने में सफल रही। इसके बाद संविधान के नियमों के तहत आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने में सफल रही। इसके अलावा दिल्ली के MCD चुनाव में भी आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 15 साल बाद MCD से बीजेपी को उखाड़ फेंकने में सफल रही।
गुजरात में बीजेपी की आंधी
2022 को आखिरी महीने में संपन्न गुजरात और हिमाचल के चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। हिमाचल में सत्तारूढ़ बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश दिया। वहीं गुजरात में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। बीजेपी ने 182 में से 157 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। गुजरात में इतनी बड़ी जीत अब तक किसी सियासी दल को नहीं मिली थी। भूपेंद्र पटेल फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री बने, वहीं हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएण और मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम बने।
पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति
साल 2022 इस मामले में भी यादगार रहा, जब देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिलीं। NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी मतों से हराकर राष्ट्रपति बनीं। द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद का शपथ लिया था, जिसके बाद ये सुर्खियों में छाई रहीं। गूगल पर इनके बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता देखी गई और इन्हें खूब सर्च किया गया। द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं और प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के बाद दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं। मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर की रहने वाली हैं। इसके पहले वो झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं
नूपुर शर्मा विवाद
बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा इस साल काफी सुर्खियों में रहीं। दरअसल, उन्होंने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद देश भर में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन हुए। देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई और नूपुर मुस्लिम संगठनों और कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गईं। बाद में इस विवादित बयान के चलते नूपुर को इस्तीफा देना पड़ा और बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया।