14 मार्च को रूस ने अमेरिका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया। जिसके बाद विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि दुनिया की दोनों महाशक्ति एक दूसरे को देख लेने की धमकी देने लगे हैं। 14 मार्च को ब्लैक सी के ऊपर अमेरिका का MQ-9 “रीपर” जासूसी ड्रोन एक “खुफिया, ISR मिशन पर था। उसी दौरान दो रूसी लड़ाकू विमान ने उसे घेर लिया। उसके बाद उस पर हमला कर उसे समंदर में क्रैश करा दिया। रूसी हमले की ये सारी हरकत अमेरिकी ड्रोन के कैमरों ने कैद कर ली और अमेरिकी फ़ोर्स के कमांड सेंटर भेज दी।
उस वीडिया के आधार पर अमेरिका ने रूस पर संगीन आरोप लगाए हैं। अमेरिका के प्रेस सचिव जनरल पैट राइडर ने कहा कि मध्य यूरोपीय समय के मुताबिक़ क़रीब सुबह 7:03 बजे 2 रूसी Su-27 फ़ाइट जेट में से एक ने MQ-9 ड्रोन के प्रोपेलर पर हमला किया। जिसके बाद MQ-9 ड्रोन क्रैश हो गया। टक्कर से पहले Su-27 कई बार ईंधन फेंका और MQ-9 के सामने लापरवाही से उड़ान भरी।
अमेरिका का ये ख़तरनाक जासूसी ड्रोन अपने साथ हथियार ले जाने में भी सक्षम है। हालांकि अमेरिका ने इस बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया कि हमले के वक़्त MQ-9 हथियार से लैस था या नहीं। अमेरिका का कहना है कि जिस वक़्त ड्रोन पर हमला हुआ उस वक़्त वो अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भर रहा था। इसलिए रूस को अमेरिकी ड्रोन पर हमला करने का कोई अधिकार नहीं था। व्हाइट हाउस ने साफ़ कर दिया है कि रूस को जवाब देना ही पड़ेगा कि उसने अंतरराष्ट्रीय कानून क्यों तोड़ा और अमेरिकी ड्रोन पर हमला क्यों किया।
इसके बाद रूस ने भी अमेरिका के आरोप का जबाव दिया। रूस ने कहा कि अमेरिका जिस अतंरराष्ट्र्र्रीय सीमा में अपने ड्रोन के उड़ान भरने की बात कह रहा है वो झूठी है। क्योंकि ब्लैक में समूचा जल क्षेत्र विवादित है और विवादित इलाके में जासूसी करना कानून का उल्लंघन है। अमेरिका में रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने इस मामले में बडी़ मजबूती के साथ रूस का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि रूस, अमेरिका के साथ टकराव नहीं चाहता है। अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में कुछ समस्याएं हैं और हम देख सकते हैं कि क्रीमिया रूसी संघ का एक हिस्सा है। अमेरिका इस स्थिति को मान्यता नहीं देता है। इस मुद्दे पर रूसी नौसेना या रूसी वायु सेना को उकसाया जा रहा है। यूरोप के पूर्वी हिस्से में जो चल रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए हमें अपनी गतिविधियों को लेकर बहुत सतर्क रहना होगा।
अमेरिका को रूस का साफ साफ इशारा है कि वो ब्लैक सी से दूर रहे, नहीं तो रूस आगे भी ऐसा ही करेगा। दरअसल, किसी भी देश की सीमा से समुद्र के भीतर 50 नॉटिकल माइल तक उस देश की समुद्री सीमा होती है। उसके बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा शुरू हो जाती है। अमेरिका का मानना है कि वो अंतरराष्ट्रीय सीमा में था, लेकिन रूस का कहना है कि क्रायमिया पर क़ब्ज़े के बाद उसकी समुद्री सीमा में विस्तार हुआ है। हालांकि अमेरिका रूस के दावे को मान्यता नहीं देता है और विवाद की जड़ भी यही है। माना जा रहा है कि रूस ने अमेरिका के ड्रोन को गिराकर पूरी दुनिया को ये संदेश दे दिया है कि क्रायमिया उसका है।