रूस की सबसे सुरक्षित जगह मानी जाने वाली क्रेमलिन पर ड्रोन हमले ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। रूस के राष्ट्रपति भवन पर हुए हमले के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल है कि क्या महायुद्ध के बीच तबाही झेल रहे यूक्रेन के पास इतनी क्षमता है कि वो सीधे क्रेमलिन पर ही हमला कर दे। माना जा रहा है कि यूक्रेन के लिए रूस पर सीधा हमला बोलना आसान नहीं है। क्योंकि ऐसा करना पुतिन के ग़ुस्से सीधे न्यौता देना होगा। फिलहाल यूक्रेन इसके लिए तैयार नहीं है। हालांकि रूस ने क्रेमलिन पर हुए ड्रोन हमलों के पीछे यूक्रेन का ही हाथ बताया है और बदला लेने की बात भी कही है।
दूसरी तरफ़, यूक्रेन ने इस हमले में अपना हाथ होने साफ साफ इनकार कर दिया है। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्रेमलिन पर ड्रोन हमला कहीं रूस का फ़ॉल्स फ़्लैग ऑपरेशन तो नहीं है। क्योंकि इस ऑपरेशन के तहत ऐसी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है जहाँ एक देश चोरी-छिपे, जानबूझकर अपनी संपत्ति, आम लोग या फिर सैनिकों के ऊपर ख़ुद ही हमला करता है। और दुनिया के सामने ये ज़ाहिर करता है कि ये सब उसके दुश्मन देश ने किया है। इसकी आड़ में फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन करने वाले देश को दुश्मन पर हमला करने का बहाना मिल जाता है। फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन के जरिए ही हिटलर ने 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत की थी।
कई जानकार मान रहे हैं कि रूस करीब डेढ़ साल से यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ रही है। ऐसे में रूस जल्द से जल्द युद्ध खत्म कर हालात को सामान्य बनाना चाहता है। ऐसे मे आशंका जताई जा रही है कि इसी वजह से रूस फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन के जरिए यूक्रेन की टॉप लीडरशिप को निशाना बना सकता है। और इसके बाद दबाव में आए यूक्रेन के सामने हथियार डालने के सिवाय कोई चारा नहीं बचेगा। इसके बाद रूस दुनिया को ये बात बता सकेगा कि उसने जवाबी कार्रवाई में यूक्रेन पर हमला किया है। रूस के फॉल्स फ्लैग ऑपेरशन का डर लंबे समय से जताया जा रहा है। कई बार पश्चिमी देशों ने दावा किया है कि रूस इसके बहाने यूक्रेन पर परमाणु हमला तक कर सकता है।