HAJIPUR LOK SABHA: बिहार का वैशाली एक ऐसा जिला है जिसमे दो लोकसभा सीट आता है। एक हाजीपुर और दूसरा वैशाली। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर है। हाजीपुर में मुख्य कारोबार केला की खेती है। लकड़ी से बनने वाले सामान, फूल पौधों का नर्सरी का कारोबार है। यह धरती भगवान महावीर की जन्मस्थली और भगवान बुद्ध की कर्मभूमि वैशाली का ऐतिहासिक महत्व है। यह जैन धर्मावलंबियों के लिए पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ था। यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों और नकदी फसल में केला उत्पादन में अलग पहचान है।
1977 में पहली बार जीते रामविलास
बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट (HAJIPUR LOK SABHA) हर बार चुनाव में सुर्खियों में रही है। इस लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का दबदबा होता था लेकिन 1977 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान (RAMVILAS PASWAN) ने सेंध लगाई थी। इसके बाद तो रामविलास पासवान और उनके परिवार का ही यहां झंडा लहराया। लेकिन 2019 के चुनाव में स्थिति अलग देखने को मिली। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस (PASHUPATI PASWAN) के बीच मतभेद दिखा लेकिन पिछले चुनाव में पशुपति पारस यहाँ से सांसद बने।
यहाँ 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा से पशुपति कुमार पारस को जीत मिली थी। पशुपति कुमार पारस को 5, 41,310 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर आरजेड़ी के शिवचन्द्र राम रहे और उन्हें 3,35,861 वोट मिले थे।
अबतक हाजीपुर से सांसद
- 1952: राजेश्वरा पटेल, कांग्रेस
- 1957: राजेश्वरा पटेल, कांग्रेस
- 1962: राजेश्वरा पटेल, कांग्रेस
- 1967: वाल्मीकि चौधरी, कांग्रेस
- 1971: रामशेखर प्रसाद सिंह, कांग्रेस
- 1977: राम विलास पासवान, जनता पार्टी
- 1980: रामविलास पासवान, जनता पार्टी
- 1984: राम रतन राम, कांग्रेस
- 1989: रामविलास पासवान, जनता दल
- 1991: रामसुंदर दास, जनता दल
- 1996: रामविलास पासवान, जनता दल
- 1998: रामविलास पासवान, जनता दल
- 1999: रामविलास पासवान, जनता दल (यूनाइटेड)
- 2004: रामविलास पासवान, लोक जन शक्ति पार्टी
- 2009: रामसुंदर दास, जनता दल (यूनाइटेड)
- 2014: राम विलास पासवान, लोक जन शक्ति पार्टी
- 2019: पशुपति कुमार पारस, लोक जन शक्ति पार्टी
रामविलास पासवान की रिकार्ड जीत
राम विलास पासवान कुल 9 बार सांसद बने, जिसमें से हाजीपुर सीट (HAJIPUR LOK SABHA) से 8 बार सांसद चुने गए। रामविलास पासवान 1977 में पहली बार यहाँ चुनाव जीते थे। रामविलास पासवान फिर दूसरी बार 1980 में चुनाव लड़े और इस बार भी वहीं जीते। लेकिन 1984 में जब चुनाव हुआ तो उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार रामरतन राम ने हरा दिया। लेकिन 1989 चुनाव में रामविलास पासवान का जादू ऐसा चला कि कांग्रेस के महावीर पासवान बुरी तरह चुनाव हार गए। इस चुनाव को रामविलास पासवान ने 5 लाख 4 हजार वोटों के अंतर से जीते। यहाँ से रामविलास पासवान सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज करा चुके है।
2009 में हारे थे रामविलास पासवान
हालांकि 1991 में हाजीपुर से रामसुंदर दास (RAMSUNDER DAS) विजयी हुए। लेकिन 1999 से फिर रामविलास पासवान हाजीपुर सीट (HAJIPUR LOK SABHA) से लगातार जीतते रहे, लेकिन 2009 में वो JDU के रामसुंदर दास से चुनाव हार गए। हालांकि, 2014 में रामविलास पासवान फिर से हाजीपुर से जीतने में कामयाब रहे। वहीं, 2019 के लोक सभा चुनाव में रामविलास पासवान ने अपने भाई पशुपति पारस को उतारा और वो चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
हाजीपुर का जानिए जातीय समीकरण
हाजीपुर सीट (HAJIPUR LOK SABHA) पर हिंदू बहुल सीट है। इस लोक सभा एरिया में मुस्लिम 9 प्रतिशत और जैन 3 प्रतिशत हैं। जातीय आधार पर इस क्षेत्र में पासवान और रविदास की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा राजपूत, भूमिहार और कुशवाहा समाज के वोटर्स भी हैं। ओबीसी समुदाय के लोग भी अच्छी तादाद में हैं। हाजीपुर में सबसे ज्यादा यादव वोटर 2.75 लाख हैं। वहीं, करीब 2.50 लाख वोटर पासवान और 2.50 लाख राजपूत जाति के हैं। 1.50 लाख वोटर भूमिहार और 1.25 लाख कुशवाहा हैं। कुर्मी और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 1.25 लाख है। करीब 80 हजार वोटर रविदास जाति के हैं। करीब 2 लाख मतदाता वैश्य और बाकी जातियों के हैं। अल्पसंख्यकों में मुस्लिम साढ़े 9 प्रतिशत हैं, क्रिश्चियन 0.06 और सिख, बुद्धिस्ट और जैन 3 प्रतिशत हैं।
हाजीपुर में जातीय समीकरण
- यादव वोटर : 2.75 लाख
- पासवान वोटर: करीब 2.50 लाख
- राजपूत वोटर: 2.50 लाख
- भूमिहार वोटर: 1.50 लाख
- कुशवाहा वोटर: 1.25 लाखट
- कुर्मी वोटर: 1.25 लाख
- ब्राह्मण वोटर :1.25 लाख
- रविदास वोटर: 80 हजार वोटर
- वैश्य और बाकी वोटर: 2 लाख
- मुस्लिम वोटर: साढ़े 9 प्रतिशत
- क्रिश्चियन वोटर :0.06
- बुद्धिस्ट और जैन वोटर : 3 प्रतिशत
केले के लिए प्रसिद्ध हाजीपुर
बिहार के हाजीपुर (HAJIPUR LOK SABHA) में सबसे अधिक केले की खेती होती है। जिसे नकदी फसलों में गिना जाता है। हाजीपुर में लाखों हेक्टेयर में सिर्फ केले की खेती होती है। जिसमे तीन तरह का केला होता है। पहला चिनिया, दूसरा बतीसा और तीसरा सामान्य दिनों में मिलने वाला केला। यहाँ के ज्यादातर किसान केले की खेती करते है और उनका परिवार इसी केले की खेती से चलता है। केले की खेती में सबसे अधिक पानी की जरूरत होती है और ऐसे में गंगा के किनारे बसे हाजीपुर शहर के किसानों की बल्ले-बल्ले रहती है।
लकड़ी के सामान का उद्योग
हाजीपुर (HAJIPUR LOK SABHA) में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग लकड़ी से बनने वाले छोटे सामानों का है। जहाँ जिले के लालगंज इलाके को काठ की नगरी भी कहा जाता है। यहाँ लालनगंज के पटवाटोली में हज़ारों ऐसे छोटे बडे घर है जहां लकड़ी का उद्योग चलता है। यहाँ के लोगो को विश्वकर्मा योजना का काफी लाभ मिला है और ऐसे में इनको अपना उद्योग धंधे को मजबूत करने में लाभदायक हुआ है।
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पटवा टोली में लकड़ी का सामान बनता है। उसमें रोटी बनाने के लिए चकला, बेलना, हुक्का पीने के लिये डिजाइनदार लकड़ी का पाइप, खड़ाऊ, तराजू में उपयोग होने वाला डंडा, लकड़ी का मचिया, लकड़ी का खिलौना बनता है। मतलब हर घर मे उपयोग होने वाला कोई ना कोई वस्तु इस इलाके में बनते हुए आपको दिखाई देगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहाँ का बना हुआ लकड़ी का ज्यादातर सामान देश के सभी हिस्से में जाता है।
2024 में उम्मीदवार
- चिराग पासवान, LJP(R)
- शिवचंद्र राम, RJD
नर्सरी के लिए भी प्रसिद्ध हाजीपुर
पटना से चंद किलोमीटर की दूरी या यूं कहें पटना से गांधी सेतु पार करने के बाद आने वाला शहर हाजीपुर (HAJIPUR LOK SABHA) में फूल और पौधे के नर्सरी को लेकर भी अपनी पहचान है। यहाँ से पूरे बिहार फूल के पौधें ओर किसी भी तरह के फल के छोटे पौधे की सप्लाई होती है। यहाँ से नेपाल में भी छोटे-छोटे फूल के पौधे नर्सरी से भेजे जाते हैं। यहाँ के कारोबारी मानते है कि टैक्स में थोड़ी छूट मिल जाय तो नर्सरी कारोबारी को अपने बिजनस में आसानी हो जाए।
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