2 मई की शाम से ओडिशा में गूंजी चीखों की आवाज़ सहर होने तक पूरे इलाकों को खाए जा रहीं थी। सिसकियां सन्नाटे को चीर रहीं थी और हर घंटे लाशों का एक अंबार ओडिशा के अस्पतालों में तैयार होता जा रहा था। जिस सफर के पूरे होने का इंतजार सवारियों को था वो सफर अब कभी पूरा होने से रहा। इस हादसे के बारे में जिस किसी ने सुना उसकी रुह कांप गई। तस्वीरें जिसने देखी उसका दिल दहल गया। ऊपर की बर्थ कोच से चिपक गई। नीचे की बर्थ ज़मीन में मिल गई। एक सीट ने दूसरी सीट के बीच की दूरी को पाट दिया।
तस्वीरें ये बताने के लिए काफी है कि किस स्पीड से इन ट्रेनों की टक्कर हुई होगी और कितने जिस्मों से सांसे उखड़ती चली गई होंगी। हादसे के चंद मिनटों में ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया।
राहत बचाव में लगी टीम
एनडीआरएफ की 7 से ज़्यादा टीम
ओडीआरएएफ की 5 से ज़्यादा यूनिट
200 से ज़्यादा एंबुलेंस मौके पर भेजी गई हैं
25 से ज्यादा फायर सर्विस यूनिटों को रवाना किया गया
इसके अलावा भारतीय सेना भी राहत औऱ बचाव कार्य में जुटी हुई है
घायलों को तुरंत इलाज मिले इसके लिए पास के इलाकों में उन्हें तत्काल प्रभाव से शिफ्ट किया गया है। घायलों को गोपालपुर, कांतापाडा, बालालोर,भद्रक, सोरो के अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है। हादसे के बाद से लगातार ही रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव संपर्क में हैं, आज सुबह भी वो घटनास्थल पर पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हादसे पर दुख जताया है। और खुद घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। रेलवे की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक हादसे की एकमात्र वजह डिरेलमेंट है। वहां पर दो मेन लाइन और दो लूप लाइन थी। मेन लाइन से कोरोमंडल एक्सप्रेस आ रही थी। वह डिरेल हुई उसका एक हिस्सा लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकराया और दूसरा हिस्सा दूसरी तरफ आ रही पैसेंजर ट्रेन से टकराया। पीछे का हिस्सा पैसेंजर ट्रेन से टकराया है और आगे का हिस्सा कोरोमंडल एक्सप्रेस का डिटेल होने के बाद मालगाड़ी से टकराया। रेल मंत्रालय ने ओडिशा ट्रेन हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। आयुक्त रेलवे सुरक्षा, दक्षिण पूर्व सर्कल दुर्घटना की जांच करेंगे।