VARANASI RAEBARELI SEAT: रायबरेली सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) ने अपना नामांकन कर दिया है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की विरासत ही नहीं मानी जाती बल्कि रायबरेली में गांधी परिवार विकास का दावा भी करता रहा है। लेकिन वहीं यूपी की वाराणसी सीट (VARANSHI SEAT) से पीएम मोदी तीसरी बार मैदान में हैं और वाराणसी के विकास पर बीजेपी के भी अपने दावे हैं। इस रिपोर्ट से समझिए कि बीते 75 सालों में रायबरेली में कितना विकास हुआ और सिर्फ़ 10 सालों में वाराणसी कितनी विकसित हुई।
रायबरेली के 75 साल बनाम वाराणसी के 10 साल
विरासत की सीट रायबरेली से राहुल गांधी मैदान में हैं तो वहीं पीएम मोदी तीसरी बार वाराणसी से चुनावी मैदान में हैं। रायबरेली और वाराणसी (VARANASI RAEBARELI SEAT) में विकास की बात करें एक जगह गांधी परिवार का 75 सालों का विकास है तो दूसरी तरफ़ महज दस सालों में पीएम मोदी ने वाराणसी का कायाकल्प कर दिया। दोनों जगहों की तुलना करें तो रायबरेली का फुरसतगंज हवाई अड्डे से अभी भी सिर्फ़ चार्टर्ड प्लेन उड़ते हैं। इससे अलग वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को संभालता है।
विकास की रेस में कौन है आगे?
इसके साथ ही 2018 के पहले रायबरेली को एक भी AIIMS नहीं मिल पाया। पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान वाराणसी के आयुर्विज्ञान संस्थान को 2018 में AIIMS का दर्जा दिया गया था। उसी साल 2018 में गांधी परिवार के रायबरेली को अपना पहला AIIMS मिला। यानी 75 सालों में रायबरेली के विकास का ग्राफ घटता गया। इंदिरा गांधी के जाते ही सब कुछ बदल गया। कारखाने बंद होने लगे लेकिन महज 10 सालों में पीएम मोदी की वाराणसी तरक्की करती गई। विकास की राह पर काशी ऐसे चली कि 2022 और 2023 में 13 करोड़ से ज़्यादा पर्यटकों ने वाराणसी का दौरा किया। जो गोवा की तुलना में 8 गुणा ज़्यादा थी।
रायबरेली में 75 सालों में भारतीय टेलीफोन उद्योग और फुर्सतगंज हवाई अड्डे को बनवाया। जबकि वाराणसी में महज 10 साल में ही पीएम मोदी ने सबकुछ बदल दिया। हैंडलूम को बढ़ावा देने के लिए ट्रेड फैसिलिटी सेंटर बनवाया। सिगरा में एक स्पोर्ट्स स्टेडियम और 750 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से रिंग रोड बनवाया।
गाँधी परिवार vs मोदी का ‘मॉडल’
VARANASI RAEBARELI SEAT: यही नहीं काशी विश्वनाथ कॉरीडोर, वाराणसी के मंदिरों, घाटों के सौंदर्यीकरण के बाद वाराणसी पूरी तरह से बदल गई। वहीं रायबरेली के हालात ऐसे हो गए थे कि जब कांग्रेस केंद्र में थी, तब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी लगभग पांच सालों तक बिना बिल्डिंग के चल रहा था। बीते 75 सालों में रायबरेली में एनटीपीसी, सीमेंट फ़ैक्टरी, रेल कोच फ़ैक्टरी बनाई गई। तो दस सालों में पीएम मोदी ने काशी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर ‘रुद्राक्ष’, अंतर्देशीय जलमार्ग का निर्माण किया।
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75 सालों में कांग्रेस ने रायबरेली में आईटीआई, राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट, विमान प्रशिक्षण स्कूल बनाए। तो सिर्फ़ 10 सालों में वाराणसी में नेटवर्क और रेलवे स्टेशनों का विकास किया। गंगा सफाई के लिए नमामि गंगे योजना चलाई और वाराणसी के सभी घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया।
रायबरेली सीट का इतिहास
- 1957 से अब तक 18 बार चुनाव हुए
- 15 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की
- तीन बार कांग्रेस की हार हुई
- दो बार BJP ने जीत दर्ज की
- एक बार BLD की जीत हुई
कितना बदला बनारस?
PM मोदी ने वाराणसी के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 720 जगहों पर सीसीटीवी कैमरे, भूमिगत पार्किंग, सड़कों, गलियों का रंग रोगन और 4700 खंभों पर हेरिटेज लाइटिंग कराई। वहीं रायबरेली की सड़कों के हालात में 2014 के बाद सुधार आना शुरू हुआ। यानी रायबरेली के रण में उतरे राहुल गांधी से वहां की जनता आज की स्थिति की तुलना इंदिरा गांधी के समय से करेगी या फिर पीएम मोदी की वाराणसी से ज़रूर करेगी।
रायबरेली सीट पर गांधी परिवार
- इंदिरा गांधी: तीन बार चुनाव जीतीं
- इंदिरा गांधी: 1967, 1971, 1980
- इंदिरा गांधी: एक बार चुनाव हारीं
- इंदिरा गांधी:1977 में करारी हार हुई
- सोनिया गांधी: लगातार चार बार जीतीं
- राहुल गांधी: पहली बार रायबरेली से उम्मीदवार
रायबरेली लोक सभा सीट पर अबतक जीत
- 1957 कांग्रेस
- 1960 कांग्रेस
- 1962 कांग्रेस
- 1967 कांग्रेस
- 1971 कांग्रेस
- 1977 BLD
- 1980 कांग्रेस
- 1984 कांग्रेस
- 1989 कांग्रेस
- 1991 कांग्रेस
- 1996 BJP
- 1998 BJP
- 1999 कांग्रेस
- 2004 कांग्रेस
- 2009 कांग्रेस
- 2014 कांग्रेस
- 2019 कांग्रेस