इमरान ख़ान का इशारा बहुत साफ़ है । बांग्लादेश की याद दिला कर वो पाकिस्तान की सेना को धमका रहे है । 1971 की याद दिला रहे है । बांग्लादेश बनाने वाले मुजीबुर रहमान का नाम ले रहे हैं। इशारों ही इशारों में कह रहे है कि अगर मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाए तो एक बार फिर पाकिस्तान टूटेगा। वो कह रहे हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर टूटेगा। इमरान ने अब तय कर लिया है कि सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरना होगा। बाग़ी होना होगा। सरकार से आज़ादी छीननी होगी और बदला लेना होगा।
1971 में पाकिस्तान का बंटवारा हुआ
1971 में जब पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा उससे अलग होकर बांग्लादेश बना। तो उस समय मुल्क़ की हालत कमोबेश इस समय जैसी ही थी। वैसे इमरान से पहले भी ऐसे कई बयान आ चुके हैं। जिनमें पाकिस्तान के टुकड़े होने का दावा किया गया था। और कहा गया था कि पाकिस्तान के कई टुकड़े होंगे। सिंध, बलूचिस्तान और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह जैसे प्रांत अलग देश बन जाएंगे। इमरान के ताज़ा बयान ने उन्हीं पुराने जख़्मों को हरा कर दिया और आग में घी डालने का काम किया। क्योंकि पाकिस्तान को हिंसा की आग में झोंकने वाले इमरान अब पाकिस्तान के बंटवारे की बात करके लोगों को डरा रहे हैं।
सेना के खिलाफ इमरान की बगावत
पाकिस्तान में इस वक्त बहुत बुरे हालात हैं। किसी भी समय कुछ बड़ा हो सकता है। क्योंकि इमरान खान सीधे सीधे 1971 की बात कर रहे हैं। इमरान खान पाकिस्तान के अब तक के इतिहास में एक मात्र ऐसे नेता हैं। जिन्होंने इस तरह खुलकर पाकिस्तान की सेना के खिलाफ बगावत कर दी है। इमरान खान लगातार पाकिस्तान की सेना पर जहर बुझे तीर चला रहे हैं। पाकिस्तान की सेना को शर्मिंदा करने के लिए इमरान ने लादेन का जिक्र किया। ऐबटाबाद में अमेरिका के ऑपरेशन का जिक्र किया। ये भी कहा कि कैसे मुशर्ऱफ के राज में दुनिया पाकिस्तान को दोगला कहती थी ।
इमरान और सेना में जंग
इमरान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक तरफ हैं इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई तो दूसरी तरफ है शहबाज़ को उनके साथी दल। नवाज शरीफ़ की पार्टी इमरान को 10 साल के लिए जेल में डालना चाहती है। ताकी वो चुनाव का ऐलान कर एक बार फिर सत्ता में आ जाए। इसलिए सत्ता में बैठी पार्टियां सीधे सुप्रीम कोर्ट को चैलेंज कर रही है। चीफ़ जस्टिस को कुर्सी छोड़ने की बात कह रही है। ऐटमी देश होने का दंभ भरने वाला पाकिस्तान इस वक्त दो भागों में बंट चुका है।
सेना, सरकार और कोर्ट में बंटवारा
पाकिस्तान में पार्टियां हो या फिर नेता , सेना हो या फिर सुप्रीम कोर्ट। सभी एक दूसरे के ख़िलाफ़ हो चुके हैं। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आवाम आर्मी के ख़िलाफ़ हो गई है। सेना के खिलाफ लोग ना सिर्फ सड़क पर उतरे हैं। बल्कि उनसे सवाल किए जा रहे हैं। पाकिस्तान की आवाम अगर ऐसे ही सड़कों पर रही। तो सेना के लिए पाकिस्तान बचाना मुश्किल होगा। और एक बार फिर पाकिस्तान बंट जाएगा।
इमरान के पक्ष में कोर्ट
इमरान ख़ान के साथ सुप्रीम कोर्ट है तो शहबाज शरीफ़ के साथ पाकिस्तान की सेना। पाकिस्तान की सेना हर हाल में इमरान ख़ान को सबक सिखाना चाहती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस इमरान के पक्ष में फ़ैसले देते दिख रहे हैं। जिससे वहाँ अफरातफरी जैसा माहौल बना गया है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के नेता फजल उल रहमान ने तो चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल इमरान खान का समर्थक तक बता दिया।