बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। सैकड़ों परिवारों ने अपनों को खोया है। हज़ार के क़रीब यात्री घायल हुए हैं। बिहार से लेकर चेन्नई तक चित्कार मचा हुआ है। बालासोर में हादसे के बाद घायलों को रेस्क्यू करने के बाद एक ट्रेन हावड़ा पहुंची। जहां उन रेल यात्रियों से हादसे के बारे में जानने की कोशिश की गई। हावड़ा पहुंचा एक घायल रेल यात्री कोरोमंडल एक्सप्रेस के S1 कोच में सफ़र कर रहा था तभी बालासोर में हादसा हो गया और S1 कोट पूरी तरह से पलट गया। बेंगलुरु से हावड़ा के लिए निकले एक यात्री का एक हाथ ही टूट गया। हालांकि इसके साथ सफर कर रहे बाकी 4 यात्री सलामत रहे।
कुछ यात्रियों का नसीब अच्छा था कि इनकी जान बच गई। अब वो अपने घर जा रहे हैं। किसी को थोड़ी बहुत चोट आई तो कोई बाल बाल बच गया लेकिन ट्रेन में मौजूद सभी यात्रियों का नसीब ऐसा नहीं था। ट्रेन का ये सफ़र सैकड़ों यात्रियों के लिए आखिरी सफर बन गया। वो न तो ज़िंदा अपनी मंजिल तक पहुंचे और न ही अपने घर वापस जा सके। उन घरों में मातम परसा है। चीख पुकार मची है। ज़्यादातर परिवारों ने अपने उस सदस्य को खोया है जिसके भरोसे घर का चूल्हा जलता था।
हावड़ा स्टेशन पर जब ट्रेन पहुंची तो वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी लाउडस्पीकर से मेडिकल हेल्प के लिए जानकारी देती नजर आई। बालासोर रेल हादसे में पश्चिम बंगाल में मालदा के रहने वाले एक यात्री की मौत हो गई। मृतक की मां ने कहा कि उसका बेटा चैन्नई जा रहा था। उसकी उम्र 26 साल थी और उसके दो बच्चे थे। बालासोर हादसे के दौरान पूर्वी मेदिनीपुर जिले के एक ही परिवार के 3 सदस्य उस ट्रेन में सफ़र कर रहे थे जो हादसे का शिकार हो गई। नसीब अच्छा था कि उन तीनों की जान बच गई जिसके बाद तीनों सुरक्षित अपने घर पहुंच गए।
इस रेल हादसे में जो बच गए वो खुद को खुशनसीब समझ रहे हैं और भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। जबकि सैकड़ों ऐसे बदनसीब थे जिन्हें कुछ भी कहने का मौका नहीं मिला। हादसे में ट्रेन के पीछे वाली बोगियों के ज़्यादातर यात्री सुरक्षित रहे। जबकि इंजन के पास वाली बोगियों में मौत का कहर बरसा।