Mukhtar Ghazipur Politics: एक समय ऐसा था जब पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। अब अंसारी के कई ठिकानों को जमींदोज किया गया है, लेकिन कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार के नाम से कांपता था। मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी समेत कई मामलों में कुल 61 मामले दर्ज थे। इनमें से 18 मामले हत्या के थे। उसके खिलाफ वाराणसी, मऊ, गाजीपुर समेत पूर्वांचल कई ज़िलों, लखनऊ के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज थे। मुख्तार अंसारी को अलग-अलग मामलों में 2 बार उम्रकैद हुई थी। मुख्तार अंसारी को 7 मामलों में सजा मिल चुकी थी, जबकि 8 मामले में वो दोषी करार दिए गए थे। अप्रैल 2023 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में 10 साल की सजा और मार्च 2024 को एक आर्म्स लाइसेंस केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा मिली थी।
अंसारी परिवार का इतिहास
- मऊ, ग़ाज़ीपुर, जौनपुर, बलिया, बनारस तक असर
- मुख़्तार अंसारी के दादा आज़ादी की लड़ाई में भाग लिए
- 1926-1927 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
- मुख़्तार अंसारी के नाना महावीर चक्र से सम्मानित
- मुख़्तार के पिता ग़ाज़ीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे
- पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख़्तार अंसारी के रिश्तेदार
मुख़्तार अंसारी पर क़ानून का डंडा
- पूर्वांचल के कई ज़िलों, लखनऊ, दिल्ली और पंजाब में FIR
- दो मामलों में मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद
- कोर्ट ने 7 मामलों में मुख़्तार को सज़ा सुनाई
- मुख़्तार 8 मामलों में दोषी करार दिए गए थे
हत्या कर भाई की हार का बदला!
- 2002 विधान सभा चुनाव में कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई हारे
- कृष्णानंद राय की हत्या कर भाई की हार का बदला लेने का आरोप
- कृष्णानंद राय की हत्या केस में अप्रैल 2023 में 10 साल की सज़ा
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Mukhtar Ghazipur Politics: हत्या से लेकर ठेकेदारी तक कब्जा
मुख्तार के क्राइम कुंडली को खंगालने पर हत्या और हत्या के प्रयास के 61 मामले दर्ज थे। इनमें 2005 में अक्टूबर 2005 में मऊ में हुए हिंसा का आरोप से लेकर 2005 में ही BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला काफी चर्चित रहा। इसके साथ ही उनके ऊपर खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी पर क़ब्ज़ा करने का आरोप रहा है।
Mukhtar Ghazipur Politics: एक जेल से दूसरे जेल घूमते रहा
मुख्तार अंसारी पर दर्ज 61 मामले में हत्या के 8 केस तो जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए। अक्टूबर 2005 में मऊ जिले में भड़की हिसा का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा तो उस समय हड़कम्प मच गया था। हालांकि इस मामले में उन्होंने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद से मुख्तार अंसारी एक जेल से दूसरे जेल का चक्कर काटते रहे। पहले उन्हें गाजीपुर जेल में रखा गया, फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया। कुछ ही समय बाद उन्हें आगरा जेल शिफ्ट किया गया, जहां से उन्हें बांदा जेल भेज दिया गया था। हालांकि एक मामले में मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।
मुख़्तार का सियासी सफर
- पहली बार 1996 में BSP के टिकट पर विधायक बने
- 2002 में दूसरी बार निर्दलीय विधायक बने
- तीसरी बार 2007 में फिर विधान सभा पहुंचे
- 2012 में कौमी एकता दल के टिकट पर चौथी बार विधायक
- 2017 में BSP के टिकट पर पांचवीं बार विधायक बने
मुख़्तार का जेल टू जेल सफर
- ग़ाज़ीपुर
- मथुरा
- आगरा
- बांदा
- रोपड़ (पंजाब)
- बांदा
Mukhtar Ghazipur Politics: पहली बार 400 राउंड फायरिंग
यूपी में बीजेपी सरकार बन जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें फिर से बांदा जेल में शिफ़्ट किया गया। माफिया मुख्तार अंसारी पर जेल से ही गैंग चलाने के गंभीर आरोप लगते रहे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह बताया था। मुख्तार अंसारी पर 2005 में जेल से ही बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत उनके 5 साथियों पर सरेआम गोलीमार कर हत्या का भी आरोप लगा था।
कृष्णानंद राय और उनके काफिले में शामिल अन्य लोगों पर 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था। 2002 विधान सभा चुनाव में कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर आरोप लगा कि चुनाव में मिली हार का बदला लेने के लिए उन्होंने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद से कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी। इस मामले में उन्हें अप्रैल 2023 में 10 साल की सजा भी सुनाई गई थी।
कौन था मुख़्तार अंसारी?
- उत्तर प्रदेश का बड़ा गैंगस्टर था
- हत्या जैसे संगीन 61 आपराधिक केस दर्ज
- 2005 से जेल में बन्द था
- 1996 से 2017 तक लगातार मऊ से विधायक
- जेल में रहते हुए 3 विधान सभा चुनाव जीता
Mukhtar Ghazipur Politics: मनोज सिन्हा से अदावत
पूर्वांचल में वर्चस्व के लिए खूनी जंग का एक लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 1996 और 1999 में गाजीपुर लोकसभा का चुनाव मनोज सिन्हा ने जीता था। दोनों ही चुनावों में मनोज सिन्हा का कृष्णानंद राय और उनके लोगों ने खुला समर्थन किया था। मुख्तार को यह पसंद नहीं आया। इस बीच नया मोड़ तब आया जब 2002 में अफजाल अंसारी विधानसभा का चुनाव हार गया।गाजीपुर में मनोज सिन्हा के बढ़ते वर्चस्व और कृष्णानंद राय की जीत से मुख्तार अंसारी खेमा बौखला गया। 2004 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो खूनी जंग एक बार फिर शुरू हुई। नवंबर 2005 में कृष्णानंद राय और उनके काफिले में शामिल सात अन्य लोगों पर 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था।
यूपी गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2002 में अफजाल अंसारी की सियासी हार माफिया मुख्तार अंसारी पचा नहीं पाया था। आरोप था कि भाई की हार से बौखलाकर ही चुनाव जीतने वाले पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और उनके लोगों को ठिकाने लगाने का सिलसिला शुरू हुआ। इसी का नतीजा रहा कि फरवरी 2004 से नवंबर 2005 के बीच कृष्णानंद राय और उनके खेमे के 15 लोगों की हत्या हुई थी। ज्यादातर मामलों में मुख्तार अंसारी को नामजद किया गया था।
मुख्तार का सियासी सफर
- 1996 में BSP के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख़्तार अंसारी ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की।
- इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते।
- मुख़्तार अंसारी को अप्रैल 2010 में BSP ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और आपराधिक गतिविधियों को लेकर निष्कासित कर दिया था, लेकिन जनवरी 2017 में मुख्तार की BSP में वापसी हुई।
हालांकि, अभी कई और मामलों में मुख्तार अंसारी को सजा हो सकती थी, लेकिन उससे पहले ही मुख्तार अंसारी को मौत हो गई।