पूरी दुनिया इस वक्त रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से परेशान हैं। युद्ध की वजह से दुनियाभर के देशों में मुसीबतें मुंह खोले खड़ी है। इन्हीं सब के बीच राजधानी दिल्ली में G-20 देश के विदेश मंत्रियों की बैठक होने जा रही है। G-20 देश के विदेश मंत्रियों की ये बैठक राष्ट्रपति भवन के आलीशान हॉल में होने वाली है। जिसमें वैश्विक महंगाई, आतंकवाद, डिजिटल ट्रांसपेरेंसी से लेकर कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी। इस बैठक में यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा होने वाला है। G-20 देश के विदेश मंत्रियों की बैठक का नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
इससे पहले पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में G-20 की बैठक का आयोजन हुआ था। उस बैठक में प्रधानमंत्री का एक बयान की काफी चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ये युद्ध का काल नहीं। अब इस बयान की पृष्ठभूमि में भारत अब तक का सबसे बड़ा G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन कर रहा है। इस बैठक में 40 से अधिक देशों और संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
अब आप पढ़िए कि G20 देशों में दुनिया के कौन कौन से देश शामिल हैं।
G20 में कौन-कौन से देश?
अर्जेंटीना
ऑस्ट्रेलिया
ब्राज़ील
कनाडा
चीन
फ़्रांस
जर्मनी
भारत
इंडोनेशिया
इटली
जापान
मेक्सिको
दक्षिण कोरिया
रूस
सऊदी अरब
साउथ अफ़्रीका
तुर्की
ब्रिटेन
अमेरिका
यूरोपियन संघ
अब आप पढ़िए कि भारत ने अपने किन खास देशों को बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है।
G20 में भारत के स्पेशल गेस्ट?
बांग्लादेश
मिस्त्र
मॉरिशस
हॉलैंड
नाइजीरिया
ओमान
सिंगापुर
स्पेन
संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों और रूस के बीच तलवारे खींची हुई है। इस बीच में भारत की अध्यक्षता में अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री भी दोनों आमने सामने होंगे। हालात ऐसे होंगे कि एक हॉल में और एक ही छत के नीचे दोनों देश के विदेश मंत्री बैठे रहेंगे। इस दौरान यूक्रेन और रूस युद्ध एक महत्वपूर्ण विषय होगा।
G 20 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त घोषणापत्र भी जारी होता है। ऐसे में सबकी नज़र उस घोषणापत्र पर टिकी है, कि क्या युद्ध के ऊपर कोई संयु्क्त बयान जारी हो पाता है। इस बैठक से पश्चिमी देशों, रूस और तटस्थ देश को यूक्रेन और दुनिया के दूसरे मसले पर एक नई राह की उम्मीद है।
हाल ही में बेंगलुरु में G 20 देश के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई थी। लेकिन गौर करनेवाली बात यह है कि उस दौरान अमेरिका और रूस के बीच युद्ध शब्द का इस्तेमाल करने पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसी वजह से उस बैठक के बाद कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं हो सका था