सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को महाराष्ट्र की सियासत से जुड़े महत्वपूर्ण पर फैसला सुनाया। इस दौरान शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में SC के फैसले के बाद महाराष्ट्र में सियासत शुरू हो गई है। इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में जबरदस्त जुबानी जंग देखने को मिली। फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने जहाँ नैतिकता के आधार पर एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की। वही सीएम एकनाथ शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि उद्दव ठाकरे उन्हें नैतिकता का पाठ न पढ़ाएं।
दरअसल 11 मई के फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन राज्यपाल और शिंदे गुट के व्हिप को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की। इसी मुद्दे को लेकर उद्धव ठाकरे मीडिया के सामने आए और शिंदे सरकार को असंवैधानिक बताया। उसके बाद सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग की। उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा है कि तत्कालीन राज्यपाल ने उस समय जो भूमिका निभाई, वह सही नहीं थी। इतना ही नहीं, कोर्ट ने शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले को भी अवैध करार दिया। कोर्ट की इस टिप्पणी से साफ़ है कि महाराष्ट्र की सरकार अवैध है। उसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
उधर कोर्ट के फैसले के बाद सीएम एकनाथ शिंदे उत्साहित दिखे। उद्धव ठाकरे की इस्तीफे की मांग पर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने संयुक्त रूप से पलटवार किया। एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे नैतिकता का पाठ न पढ़ाएं। 2019 में जब उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़कर विरोधी पार्टियों के साथ सरकार बना ली थी। तब उनकी नैतिकता कहाँ गई थी। सत्ता और कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे के विचारों को छोड़ दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे को जोरदार तमाचा पड़ा है। इसलिए वह बहकी बहकी बातें कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत के बाद महाराष्ट्र में सियासी पारा एक बार फिर से चढ़ेगा। सूत्रों की माने तो इस फैसले के बाद उद्धव गुट के कुछ और विधायक शिंदे गुट का दामन थाम सकते हैं। इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे को लेकर जिस तरह की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की है, उससे महाविकास अघाड़ी गठबंधन में भी दरार पड़ने के संकेत दिख रहे हैं। कुल मिलकर अगर कहें तो आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीती में कई घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।