Chandrayaan-3 Launch: जानिए चंद्रमा में कैसे दाखिल होगा चंद्रयान 3, एक एक स्टेप से जानिए कैसे जुटाएगा डेटा?

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Chandrayaan-3 Launch: चंद्रयान 3 को GSLV मार्क 3 जैसे पावरफ़ुल रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। ये रॉकेट चंद्रयान 2 के इंट्रीग्रेटड मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। इसके बाद चंद्रयान-3 धीरे पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल कर चांद की ओर आगे बढ़ेगा। जिसका सीधा मतलब है कि चंद्रयान सीधे चंद्रमा की ओर नहीं जाएगा बल्कि कई चरणों में चंद्रमा का सफ़र पूरा करेगा।

Chandrayaan-3 Launch: ISRO ने कितने बदलाव किए?

मिशन मून के लिए तैयारी पूरी है । इस बार ग़लती की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए इसरो ने चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3 Launch) के लिए चार सौ पचास से ज़्यादा बदलाव किए है। जब चंद्रयान 3, अंतरिक्ष में चांद की आर्बिट में दाखिल होगा। तभी असली परीक्षा शुरू होगी। जिस पर हर किसी की नजर है। पृथ्वी की कक्षा यानी ऑर्बिट में पहुंचने और फिर पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काटते हुए ऊपरी आर्बिट से निचली आर्बिट तक पहुंचना है।

MISSION CHANDRAYAN-3
मिशन चंद्रयान 3 के लिए सभी तैयारी पूरी

Chandrayaan-3 Launch: कैसे लैंड होगा चंद्रयान?

GSLV मार्क 3 रॉकेट चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। पृथ्वी की आर्बिट में पहुंचने के बाद चंद्रयान 3 धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा में दूरी को बढ़ाएगा। ताकि पृथ्वी के गुरुत्वाकृषण को कम किया जा सके। इसके साथ ही दूरी बढ़ाने के लिए ऑनबोर्ड रॉकेट का इस्तेमाल होगा। ये रॉकेट चंद्रयान के साथ भेजे जाएंगे और फिर इस तरह चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होगा। यहां प्रक्रिया उल्टी दिशा में चलेगी मतलब पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान की दूरी को बढ़ाया जा रहा था तो चंद्रमा की कक्षा में पूरी कोशिश दूरी को कम करने पर होगा।

chandrayaan-3 launch
GSLV

चक्कर काटते चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3 Launch) जब चांद की निचली कक्षा में दाखिल हो जाएगा तो लैंडर को उतारने की तैयारी शुरू होगी। और यहीं से शुरू होगी सबसे बड़ी चुनौती। चंद्रमा की कक्षा में 100 x 100 किमी यानी चंद्रमा की सबसे निचली कक्षा चांद की सतह से वो दूरी जहां से चंद्रयान का असली मिशन शुरू होगा। जब लैंडर पहली बार चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होकर चांद की सतह की डगर पर बढ़ेगा।

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर विक्रम स्पीड को कम करेगा
  • लैंडर धीरे-धीरे 100 x 30 किमी की कक्षा में पहुंचेगा
  • और अनुकूल परिस्थिति मिलने पर चांद पर लैंड करेगा

Chandrayaan-3 Launch: कब लैंड होगा चंद्रयान

इसरो की योजना है कि चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3 Launch) के साथ जा रहा लैंडर 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा का सतह पर लैंड करने की कोशिश करेगा। सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ वक्त बाद रोवर को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरु होगी सब कुछ ठीक होने पर रोवर लैंडर से नीचे आएगा

अब आपको बताते हैं कि रोवर किस तरह से जानकारी जुटाएगा? चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे रोवर में क्या कुछ खास है? चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे रोवर को चांद के वातावरण के मुताबिक बनाया गया है।

इसमें क्या क्या लगे हैं?
6 पहिए लगाए गए हैं
रोवर में पावरफुल सोलर पैनल लगा है
लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी रोवर को लैस किया गया है
रोवर में कई कैमरे लगाए गए हैं

लैंडर के साथ भेजा जा रहा रोवर चंद्रमा का सतह पर चलकर डेटा जुटाएगा। वो चंद्रमा की सतह की तस्वीरे लेगा, जिसे वो लैंडर को भेजेगा और लैंडर चांद का डेटा इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए इसरो से साझा करेगा। इमरजेंसी के हालात में लैंडर चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से संपर्क साध सकता है। साफ शब्दों में कहें तो इसरो की कोशिश एक साथ कई लक्ष्यों को साधने की है।

चंद्रमा पर कब पहुंचेगा चंद्रयान?

30 से 40 दिन लैंडर को चांद की सतह पर पहुंचने में लगेंगे। इन सभी चरणों को पूरा करने में यानी 14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 30 से 40 दिन लगेंगे। मतलब, मिशन की सफलता की करोड़ों उम्मीदों के साथ चांद की दुनिया में कदम रखने को देश बेताब है।

चंद्रयान 3 की ख़ासियत

  • प्रोपल्शन वज़न- 2,148 किलो ग्राम 
  • लैंडरवज़न- 1,726 किलोग्राम  
  •  रोवर वज़न- 26 किलोग्राम
  • लैंडर के साथ 4 पेलोड होंगे 
  • लैंडर की ऑन बोर्ड पावर- 38 वॉट  
  • रोवर की ऑन बोर्ड पावर- 50 वॉट

भारत के लिए चंद्रयान 3 क्यों ज़रुरी?

  • चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
  • बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा उपयोगी जगह
  • चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना
  • अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित करना

चंद्रयान 3 के 10 क़दम

  • फ़ेज़ 1 चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक ले जाना  
  • फ़ेज़ 2 स्पेसक्राफ़्ट सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा 
  • फ़ेज़ 3 चांद की कक्षा में चंद्रयान 3 को भेजा जाएगा 
  • फ़ेज़ 4 चांद की सतह से 100 km ऊंची कक्षा में चंद्रयान 3 चक्कर लगाना शुरू करेगा 
  • फ़ेज़ 5 प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल अलग होंगे 
  • फ़ेज़ 6 चंद्रयान 3 अपनी गति को कम करना शुरू करेगा 
  • फ़ेज़ 7 चांद पर लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी 
  • फ़ेज़ 8 चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतरेगा 
  • फ़ेज़ 9 लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरकर सामान्य होंगे  
  • फ़ेज़ 10 चंद्रमा की 100 km की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल की वापसी

MISSION CHANDRAYAN-3: मिशन चंद्रयान से क्या फायदा?

ऐसे में अब इसरो की नजर, चांद की सतह में छिपे उन रहस्यों से पर्दा उठाने की है, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

  • चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर
  • चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा
  • चांद की मिट्टी की जांच करेगा
  • चांद के वातावरण की रिपोर्ट देगा
  • चांद पर मौजूद खनिज खोजेगा

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MISSION CHANDRAYAN-3: कहाँ उतरेगा चंद्रयान?

चंद्रयान-3 चांद से जुड़े उन तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा, जिनसे अब तक दुनिया अंजान है। क्योंकि चांद की आधी सतह चमकती हुई है, मतलब जहां तक रोशनी पहुंचती है। वहीं, आधी सतह घुप अंधेरे में डूबी है।

  • चंद्रयान-3 का लैंडर मिशन चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से 100 किमी. दूर उतरेगा
  • चांद के इस हिस्से में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं
  • तापमान बेहद कम होता है
  • तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
  • लिहाजा पानी मिलने की संभावना कहीं ज्यादा है

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