पाकिस्तान (pakistan) ने कश्मीर में आतंक फैलाने की यह नई चाल चली है। ओवरग्राउंड वर्करों की बकायदा पीओके (pok) में आतंकवादी संगठनों के कमांडरों ने सूची बनाई है, जिनको दोहरी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें एक जिम्मेदारी दी गई है आतंकियों की चोरी छुपे मदद करना तो दूसरी जिम्मेदारी है ड्रग तस्करी के धंधे को अंजाम देने की।
ओवरग्राउंड वर्कर बने ड्रग तस्कर
खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक चुनिंदा ओवरग्राउंड वर्कर (overground workers) को सेलेक्ट किया गया है, जिनको हाई वेल्यू (high value) की श्रेणी में रखा गया है। यानी वह पाकिस्तान के ड्रग (drugs) साजिश की अहम कड़ी हैं। कुछ दिनों पहले भारत-पाकिस्तान सीमा कुपवाड़ा में हुई ट्रक तस्कर आरोपियों की गिरफ्तारी (arrest) में यह अहम जानकारी सामने आई है।
सीमा पार से भेज रहे नशे का सामान
कुछ दिनों पहले कश्मीर के कुपवाड़ा इलाके से इन ड्रग तस्करों (drug peddler) को गिरफ्तार किया गया था। जांच एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान से लाए हुए नशीले पदार्थों की खेप को यह भारत में बेच रहे थे। अब इस पूरे रैकेट की तफ्तीश में बेहद अहम जानकारियां सामने आई हैं। पाकिस्तान की शह पर सीमा पार कश्मीर में जो आतंकी कमांडर हैं। वह भारत में आतंकवादियों (terrorist) के समर्थक ओवरग्राउंड वर्करों को नशे की तस्करी का भी काम दे रहे हैं। यानी एक ओर वह आतंकवादियों को रहने और खाने की जगह दे रहे हैं, तो दूसरी ओर नशे की तस्करी भी कर रहे हैं। इस सनसनीखेज जानकारी के सामने आने के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां भारत-पाकिस्तान सीमा पर कश्मीर में अलर्ट हो गई हैं। बता दें कि नशीले पदार्थों की खेत में ज्यादातर हेरोइन ही हैं
पहले से कम हुए अंडरग्राउंड वर्कर
खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक बड़ी तादाद में पिछले कुछ महीनों में आतंकियों को मारा गया है, लिहाजा अब पाकिस्तान कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए ओवरग्राउंड वर्कर ऊपर ही निर्भर हैं। कुछ सालों पहले जहां कश्मीर में ओवरग्राउंड वर्करों की तादाद करीब 6000 हुआ करती थी, वह मौजूदा समय में 2500 ही रह गई है। लेकिन पाकिस्तान की शह पर आतंकियों ने इन बचे हुए ओवरग्राउंड वर्कर पर इतना दबाव बना दिया है कि अब वह घाटी में डबल रोल अदा कर रहे हैं। यानी एक ओर तो वह ओवरग्राउंड वर्कर है तो दूसरी ओर नशे के तस्कर बन गए हैं।
4 लाख रुपए तक मिल रही कीमत
जानकारी है कि नशे के तस्करों को वैल्यू के हिसाब से पाकिस्तानी कमांडरों ने बांटा है, जिसकी कीमत 4000 से लेकर 4 लाख रुपये तक है। यानी जो ओवरग्राउंड वर्कर जितनी ज्यादा रकम की ड्रग तस्करी करेगा उसको उतना ज्यादा पैसा मिलेगा। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी कैम्पों में बकायदा इन ओवरग्राउंड वर्करों की सूची भी बनाई गई है, जिन पर यह डबल रोल अदा करने का बहुत बड़ा दबाव बनाया जा रहा है। नशे की तस्करी में यह हीरोइन को या तो लोकल मार्केट पर भेजते हैं या फिर कश्मीर(kashmir) के रास्ते देश के अंदरूनी हिस्सों में भी ड्रग सप्लाई करते हैं। जांच एजेंसियों को अब तलाश है उन सदस्यों की ड्रग की खेप ओवरग्राउंड वर्करों तक पहुंचाते हैं ।