ISRO’s Chandrayaan-3: अंतरिक्ष अनंत है और संभावनाएं भी। अंतरिक्ष का विस्तार कितना और कहां तक है? इंसान की किसी भी किताब दर्ज नहीं है। लेकिन अगर अंतरिक्ष के विस्तार की खोज करनी है, नई संभावनाओं को तलाशना है तो अंतरिक्ष की गहराइयों में छिपी संभावनाओं की तलाश में सबसे पहला पड़ाव चंद्रमा है। क्योंकि पृथ्वी का चक्कर काट रहे चंद्रमा तक पहुंचना हमारे आकाश में टिमटिमाते किसी भी दूसरे तारे तक पहुंचने से कहीं ज्यादा आसान है।
ISRO’s Chandrayaan-3: भारत की बढ़ेगी अहमियत
भारत से पहले अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देश चंद्रमा तक पहुंच चुके हैं। सभी की तैयारी चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है। ऐसे में भारत के लिए चंद्रमा (ISRO’s Chandrayaan-3) की अहमियत कहीं ज्यादा बढ़ जाती है।
- चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
- बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा सबसे उपयुक्त जगह है
- चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना है
- अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित किया जा सकता है
खास बात ये है कि अगर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग होती है तो फिर अंतरिक्ष में पहुंच के लिहाज से वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ेगी। यहीं नहीं अरबो डॉलर के अंतरिक्ष बाजार (ISRO’s Chandrayaan-3) में भारत की उपस्थिति पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा मजबूत होगी।
ISRO’s Chandrayaan-3: मिशन आदित्य और गगनयान का रास्ता खुलेगा
चंद्रयान-3 की सफलता ना सिर्फ वैश्विक मंच पर देश की ताकत का एहसास कराएगी बल्कि इसरो के मिशन आदित्य और मिशन गगनयान के लिए भी रास्ते खोलेगी। इसरो की तैयारी गगनयान के जरिए अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की है।
चंद्रयान- 3 प्रधानमंत्री मोदी के लिए बेहद खास होने वाला है। क्योंकि पिछली बार साल 2019 में जब चंद्रयान-2 भेजा गया था तो लैंडिंग के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के सेंटर में मौजूद थे। यही नहीं चंद्रयान-2 के साथ गए लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग नाकामयाब हुई तो मिशन से जुड़े इसरो की टीम के चेहरे पर निराशा साफ दिखी थी। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी टीम की हौसला आफजाई की थी।
ISRO’s Chandrayaan-3: PM मोदी की साख पर सवाल
अब चंद्रयान (ISRO’s Chandrayaan-3) की आशिंक असलफता के 4 साल बाद इसरो फिर से चांद की राह पर बढ़ने को तैयार है। तो हर एक नजर न सिर्फ इसरो की ओर देख रही है बल्कि नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भी हैय़
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इसरो ने चांद पर पहला मिशन साल 2008 में भेजा था। जिसके बाद दूसरा मिशन भेजने में इसरो को 10 साल से भी ज्यादा का वक्त लगा है। माना जा रहा है चंद्रयान-3 की सफलता वैश्विक मंच पर भारत की साख तो बढ़ाएगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की साख भी बढ़ेगी। फिलहाल सबकी नजर 14 जुलाई को होने वाली चंद्रयान- 3 (ISRO’s Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग पर है।
चंद्रमा पर कब पहुंचेगा चंद्रयान?
30 से 40 दिन लैंडर को चांद की सतह पर पहुंचने में लगेंगे। इन सभी चरणों को पूरा करने में यानी 14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 30 से 40 दिन लगेंगे। मतलब, मिशन की सफलता की करोड़ों उम्मीदों के साथ चांद की दुनिया में कदम रखने को देश बेताब है।
चंद्रयान 3 की ख़ासियत
- प्रोपल्शन वज़न- 2,148 किलो ग्राम
- लैंडरवज़न- 1,726 किलोग्राम
- रोवर वज़न- 26 किलोग्राम
- लैंडर के साथ 4 पेलोड होंगे
- लैंडर की ऑन बोर्ड पावर- 38 वॉट
- रोवर की ऑन बोर्ड पावर- 50 वॉट
भारत के लिए चंद्रयान 3 क्यों ज़रुरी?
- चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
- बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा उपयोगी जगह
- चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना
- अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित करना
चंद्रयान 3 के 10 क़दम
- फ़ेज़ 1 चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक ले जाना
- फ़ेज़ 2 स्पेसक्राफ़्ट सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा
- फ़ेज़ 3 चांद की कक्षा में चंद्रयान 3 को भेजा जाएगा
- फ़ेज़ 4 चांद की सतह से 100 km ऊंची कक्षा में चंद्रयान 3 चक्कर लगाना शुरू करेगा
- फ़ेज़ 5 प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल अलग होंगे
- फ़ेज़ 6 चंद्रयान 3 अपनी गति को कम करना शुरू करेगा
- फ़ेज़ 7 चांद पर लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी
- फ़ेज़ 8 चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतरेगा
- फ़ेज़ 9 लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरकर सामान्य होंगे
- फ़ेज़ 10 चंद्रमा की 100 km की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल की वापसी
MISSION CHANDRAYAN-3: मिशन चंद्रयान से क्या फायदा?
ऐसे में अब इसरो की नजर, चांद की सतह में छिपे उन रहस्यों से पर्दा उठाने की है, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
- चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर
- चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा
- चांद की मिट्टी की जांच करेगा
- चांद के वातावरण की रिपोर्ट देगा
- चांद पर मौजूद खनिज खोजेगा
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MISSION CHANDRAYAN-3: कहाँ उतरेगा चंद्रयान?
चंद्रयान-3 चांद से जुड़े उन तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा, जिनसे अब तक दुनिया अंजान है। क्योंकि चांद की आधी सतह चमकती हुई है, मतलब जहां तक रोशनी पहुंचती है। वहीं, आधी सतह घुप अंधेरे में डूबी है।
- चंद्रयान-3 का लैंडर मिशन चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से 100 किमी. दूर उतरेगा
- चांद के इस हिस्से में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं
- तापमान बेहद कम होता है
- तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
- लिहाजा पानी मिलने की संभावना कहीं ज्यादा है