पिछले 20 दिनों में तिहाड़ जेल में दो बड़ी गैंगवॉर को अंजाम दिया गया है। जेल नंबर 3 में हुई वारदात में लॉरेंस के साथी प्रिंस तेवतिया की हत्या की गई। वहीं 2 मई को गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया को मौत के घाट उतार दिया गया। लॉरेंस गैंग के गुर्गे प्रिंस तेवतिया की हत्या जेल में नुकीले हथियारों से की गई थी। अब टिल्लू ताजपुरिया की हत्या में भी ऐसे ही जेल के अंदर हैंडमेड हथियारों के इस्तेमाल हुआ है। जिन्हें जेल के अंदर बंद अंडर ट्रायल कैदी चुपके से बैरक या वार्ड में तैयार करते हैं।
तिहाड़ जेल प्रशासन के मुताबिक समय समय पर कैदियों के बैरक में सर्चिंग की जाती है। जिसमें ऐसे हथियार मिलते हैं जिन्हे कैदी अपने साथ रखते हैं। जेल के अंदर बदला लेने और अपना ख़ौफ़ कायम रखने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। इन धारदार हथियारों को बनाने के लिए कैदी सलाखों की रॉड, पत्तियां, ग्रिल, टाइल, पंखे की पत्तियां, खिड़की की बिडिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हें सुआ जैसा नुकीला बनाने के लिए ये कैदी जेल के अंदर फर्श से पत्थर निकालकर उसमें पत्तियों को घिसते रहते हैं।
तिहाड़ प्रशासन के मुताबिक पिछले महीने तिहाड़ जेल में गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया की जेल में हत्या के बाद छापेमारी की गई थी। अप्रैल महीने में ही जेल नम्बर 8 और 9 में 53 बार सर्चिंग और छापेमारी की गई है। जिसमें 32 अधूरे और 22 बने हुए नुकीले हथियार बरामद किए गए हैं। टिल्लू ताजपुरिया पर भी ऐसे ही नुकीले हथियारों को बनाकर हमला किया गया था। चारों आरोपियों के हाथों में ऐसे ही नुकीले चाकू नुमा हथियार थे। जिन्हे पहले से बनाया गया था। यानि प्रिंस तेवतिया की हत्या के बाद अगर जेल प्रशासन 8 और 9 नंबर जेल के साथ ही दूसरी जगह भी तलाशी लेता तो तिहाड़ जेल से सामने आई ये तस्वीरें ना आती। और तिहाड़ की दिवारें एक और गैंगवॉर की गवाह ना बनती।