राजूपाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद बमबाज गुड्डू मुस्लिम (guddu muslim) का नाम सुर्खियों में है। एसटीएफ (up stf) के अधिकारी भी गुड्डू मुस्लिम को अतीक गैंग का सबसे खतरनाक सदस्य मानते हैं। बमबाज गुड्डू मुस्लिम ने अतीक के अलावा कई अन्य माफिया के लिए भी काम किया था। इस कारण वह जानता है कि पुलिस किस तरह से उसकी लोकेशन ढूंढ सकती है। वह कई बार फरारी भी काट चुका है। एसटीएफ और पुलिस को कई बार उसकी सटीक लोकेशन मिली, लेकिन हर बार वह पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही फरार हो जाता है।
अजमेर में तो बमबाज गुड्डू मुस्लिम की गिरफ्तारी की भी अफवाह तक उड़ गई थी। अजमेर की एक फोटो भी वायरल हुई थी जिसमें बताया गया था कि गुड्डू मुस्लिम को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया, लेकिन यह सब बातें गलत निकलीं। पुलिस अब भी गुड्डू मुस्लिम की तलाश कर रही है। प्रयागराज (prayagraj) के चकिया स्थित उसके घर पर ताला लगा है। पुलिस उसके कई करीबियों को पकड़कर पूछताछ कर चुकी है लेकिन उसकी लोकेशन किसी को भी नहीं पता है।
गुड्डू मुस्लिम का घर अतीक के घर के पास में ही है। वह बचपन से ही बम बनाने का एक्सपर्ट था। धीरे धीरे वह इतना माहिर हो गया था कि चलते चलते बम बना देता था। उसे असलहों से ज्यादा बम पर विश्वास था। इसीलिए जब उमेश पाल की हत्या के लिए जब अतीक अहमद (atiq ahmad) का बेटा असद सबको असलहे दे रहा था तो गुड्डू ने बम से भरा झोला लेना पसंद किया था। उसने बम से ही तहलका मचा दिया था। सिपाही राघवेंद्र को उसने पीछे से बम मारा था, जो सिपाही की मौत का कारण बना।
गुड्डू मुस्लिम बचपन से ही जरायम की दुनिया में कूद गया था। 15 साल की उम्र वह पहली बार चोरी में पकड़ा गया था। इसके बाद धीरे धीरे उसने अपराध के हर क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दिया। घर वालों ने उसके खराब लक्षणों को देखकर उसे लखनऊ (lucknow) भेज दिया कि वह सुधर जाए, लेकिन ऐसा बिल्कुल नही हुआ। वहां वह माफिया धनंजय सिंह (dhnanjay singh) और अभय सिंह (abhay singh) के संपर्क में आ गया। 1997 में लखनऊ के लॉ मार्टीनियर कॉलेज के स्पोर्ट्स टीचर फ्रेडरिक जे गोम्स की सनसनीखेज हत्या कर दी गई थी।
हत्याकांड में गुड्डू के अलावा धनंजय सिंह का भी नाम आया था। किसी बड़े मामले में पहली बार गुड्डू मुस्लिम नामजद हुआ तो वह बड़े बड़े अपराधियों की निगाह में आ गया। इसी दौरान गुड्डू मुस्लिम कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला(shree prakash shukla) के भी संपर्क में आया। कुछ दिन उसने गोरखपुर (gorakhpur) के माफिया परवेज टाडा के लिए भी काम किया। इसी दौरान माफिया उदयभान (udaybhan) से भी उसकी मुलाकात हुई तो वह उसके लिए काम करने लगा था।
वर्ष 2001 में गोरखपुर पुलिस ने गुड्डू को पटना से गिरफ्तार किया तो उसकी जमानत अतीक अहमद ने कराई थी। गुड्डू मुस्लिम इसके बाद अतीक गैंग का होकर रह गया। वह प्रयागराज चला आया। राजू पाल (raju pal) हत्याकांड में भी गुड्डू मुस्लिम का नाम आया था। पुलिस की पूरक चार्जशीट में गुड्डू मुस्लिम का नाम था। हालांकि सीबीआई (cbi) ने बाद में उसे क्लीन चिट देते हुए आरोप पत्र से उसका नाम हटा दिया था। उमेश पाल हत्याकांड (umesh pal murder) के बाद गुड्डू मुस्लिम की तलाश पूरे प्रदेश की पुलिस कर रही है लेकिन लगभग दो महीने बीतने के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला है।
एसटीएफ सूत्रों की माने तो उमेश हत्याकांड के बाद से गुड्डू मुस्लिम पांच राज्यों के 25 से ज्यादा जिलों में फरारी काट चुका है। 15 अप्रैल को अतीक-अशरफ की हत्या की खबर जब उसे मिली तो वह अजमेर से नाशिक पहुंचा और छोटा राजन गैंग की मदद से वह प्रयागराज और कौशांबी के सटे गांवों में पनाह लिया। पुलिस सूत्रों की माने तो गुड्डू मुस्लिम अतीक की पत्नी शाइस्ता (shaista) के साथ है। वह इतना शातिर है कि पुलिस को चकमा देने के लिए मोबाइल में सिमकार्ड का इस्तेमाल न करके वाईफाई कनेक्ट कर न सिर्फ छोटा राजन गैंग के संपर्क में है। बल्कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के विश्वनीय वकीलों से संपर्क कर शाइस्ता परवीन को सरेंडर कराने की फिराक में है। इस दौरान एसटीएफ की टीमें ने जब गुड्डू मुस्लिम की तलाश में प्रयागराज-कौशांबी में ड्रोन की मदद से सर्च आपरेशन चलाया तो अब खबर सामने आ रही है गुड्डू मुस्लिम यहां से भी फरार हो गया है।