Chandrayaan-3: चांद पर बजेगा भारत का डंका, भारत के खाते में कई उपलब्धियां

इसे जरूर पढ़ें।

मिशन चंद्रयान 3 अगर सफल हुआ तो भारत इस तरह का कीर्तिमान करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। यही नहीं भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो बिना किसी भारी भरकम रॉकेट को मिशन पूरा करने में कामयाब होगा। इसके साथ ही भारत के खाते में एक और उपलब्धि आ जाएगी जिसके मुताबिक भारत सबसे कम दाम में इस मिशन को अंजाम देने वाले देश बन जाएगा, जिसे हर संभव सफल बनाने के लिए मिशन में कुछ बदलाव भी किए गए हैं।

चंद्रयान का पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा तक का सफर बेहद दिलस्प रहा। 31 जुलाई और 1 अगस्त की रात चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा के ऑर्विट में पहुंच गया। 18 अगस्त को लैंडर विक्रम की डीबूस्टिंग प्रक्रिया के बाद चांद से दूरी सिर्फ 113 किलोमीटर रह गई। अब आपके मन में इस मिशन को लेकर उठ रहे कुछ सवालों के जवाब बताते हैं।

चंद्रयान 3 से भारत को क्या हासिल होगा?
इस मिशन से दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा।

इस मिशन से ना सिर्फ दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा बल्कि कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इससे पहले भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान को लॉन्च किया था, जिसकी ताक़त दुनिया पहले ही देख चुकी है। इस बार चंद्रयान को चांद के साउथ पोलर रीजन में भेजा गया है। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती

साउथ पोल पर ही मिशन क्यों भेजा गया?
और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के रूम में पानी मिल सकते हैं। 2008 में चंद्रयान एक ने चांद की सतह पर पानी होने के संकते दिए थे।

इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार थ्रस्टर यानी इंजन तो हैं, लेकिन पिछली बार बीचो-बीच लगा पांचवां इंटन हटा दिया गया है।


इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन क्यों?
इस बार दो इंजन की मदद से ही लैंडिंग होगी और दो इंजन को आपातकालीन स्थिति में काम करने के लिए रखा गया है। जबकि पांचवें इंजन को इसलिए हटाया गया ताकि ज़्यादा ईंधन ले जाया जा सके।

बताया गया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है।


23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों?
23 अगस्त को जब चंद्रयान की लैंडिंग होगी उस दिन चांद पर सूर्योदय होगा। लैंडर और रोवर पर लगे सोलर पैनल्स उजाले की वजह से अपने लिए जरूरी उर्जा बना पाएंगे।

चांद पर चंद्रयान की लैंडिंग के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसका मिशन मून पूरो होगा।

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चांद पर जय हिन्द’

चंद्रयान 3.O लॉन्च 

14 जुलाई

चांद की पहली कक्षा में पहुँचा

5 अगस्त

चांद की दूसरी कक्षा में पहुँचा

6 अगस्त

चांद की तीसरी कक्षा में पहुँचा

9 अगस्त

प्रॉपल्शन और लैंडर अलग हुए

17 अगस्त

चांद की दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होगी

23 अगस्त

चलो चांद पर चलें 

चांद से कितनी दूर है चंद्रयान 3?         चांद से सिर्फ़ 113 Km दूर है चंद्रयान 3 का लैंडर

कब होगी चंद्रयान 3 की लैंडिंग?        23 अगस्त को चांद पर उतरेगा लैंडर

लैंडिंग में अभी क्या मुश्किल?            लैंडर की रफ़्तार 2 मीटर प्रति सेकंड लानी होगी

23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों?            अभी चांद पर रात है 23 अगस्त को चांद पर सूर्योदय होगा

23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों?            लैंडर, रोवर ताक़त पैदा करने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल करेंगे 

चंद्रयान 3 क्या काम करेगा?              धरती से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करेगा

चंद्रयान 3 क्या काम करेगा?              चांद की सतह पर पानी, खनिज की खोज करेगा

साउथ पोल पर ही चंद्रयान 3 क्यों भेजा गया?      2008 में चंद्रयान 1 ने चांद के इस हिस्से में पानी के संकेत दिए थे

इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन क्यों?        पांचवें इंजन की जगह ईंधन भेजा गया है 

14 दिन का ही मिशन क्यों?                चांद पर 14 दिन रात और 14 दिन उजाला होता है

14 दिन का ही मिशन क्यों?               उजाले में मिशन को पूरा करने में आसानी होगी

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