चीन के खिलाफ दुनिया के कई देश साथ आ रहे हैं। एक और संगठन चीन के खिलाफ बनकर तैयार हो गया है। औकस नाम के इस गठबंधन को दुनिया की तीन महाशक्तियों ने साथ आकर बनाया है। अमेरिका के कैलिफ़ॉर्निया में औकस नाम के इस गठबंधन की शुरुआत हुई। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और ऑस्ट्रेलिया के पीएम ऐंथनी ऐल्बनीज़ मौजूद रहे। अमेरिकी की अगुआई वाला ये गठबंधन साउथ चाइना सी में चीन की मुश्किल बढ़ाने वाला है ।
साउथ चाइना सी में चीन को धूल चटाने के लिए दुनिया की 3 महाशक्तियों को एक साथ आना पडा। इस एकजुटता का ऐलान पिछले साल ही हो गया था, लेकिन इसकी औपचारिक शुरुआत 13 मार्च को हुई। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर चीन को घेरने का ये फुलप्रूफ प्लैन तैयार किया है। तीनों देशों ने जो रक्षा साझेदारी तैयार की उसका नाम AUKUS (औकस) रखा गया है। इसके पीछे अमेरिका की कोशिश है कि समंदर में चीन की बादशाहत को चुनौती दी जाए।
दरअसल, चीन ने बहुत कम समय में अपनी नेवी बेड़े का बहुत अधिक विस्तार कर लिया है। जिसके बाद अमेरिकी नेवी भी चीन के जंगी जहाजों के आगे छोटी पड़ गई है। चीन की नेवी में अभी 340 वॉरशिप शामिल हैं। वहीं, अमेरिकी नेवी के पास 300 वॉरशिप हैं। इसके साथ ही चीन का लक्ष्य आने वाले 2 सालों में अपने नेवी बेड़े में 400 जंगी जहाज शामिल करने का लक्ष्य है। जबकि अमेरिका ने 350 जहाजों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब है कि अगर दोनों देश अपना अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं तो भी चीन की नेवी अमेरिका पर भारी पड़ेगी। चीन से मुकाबला करने के लिए ही अमेरिका ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से हाथ मिलाया है। इसका साफ मकसद है कि जब भी समंदर में चीन से भिड़ने की नौबत आए तो अमेरिका चीन पर भारी पड़े।
तीनों देशों ने AUKUS समझौता करने के लिए 13 मार्च को हस्ताक्षर किया। इस दौरान अमेरिका (US)के राष्ट्रपति जो बाइडेन (JOE BIDEN), ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ऐंथनी ऐल्बनीज़ और ब्रिटेन (UK) के पीएम ऋषि सुनक कैलिफ़ॉर्निया के नेवल बेस पर बैठक की। इसके बाद यूएसएस मिसौरी सबमरीन पर रक्षा साझेदारी की औपचारिक शुरुआत की। इस रक्षा समझौता का ऐलान सितंबर 2021 में किया गया था। जिसके तहत तीनों देश मिलकर आधुनिक परमाणु पनडुब्बियां बनाएंगे। जिनमें से पहली सबमरीन अमेरिका बनाएगा, जिसकी डेडलाइन 2032 रखी गई है।
AUKUS रक्षा समझौते के तहत अमेरिका अपनी परमाणु संचालित पनडुब्बियों की बेशकीमती तकनीक ऑस्ट्रेलिया को निर्यात करने जा रहा है। इससे पहले अमेरिका ने परमाणु पनडुब्बी की तकनीक को ब्रिटेन के साथ साझा किया था। ऑस्ट्रेलिया इस तकनीक की मदद से आने वाले दशकों में की परमाणु पनडुब्बी तैयार करेगा। इससे पहले चीन से मुकाबला करने के लिए क्वाड (QUAD) संगठन भी बन चुका है। जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रलिया शामिल है।
वहीं, AUKUS समझौता से भड़के चीन ने अमेरिका को खुली चेतावनी दी है। चीन ने कहा कि अमेरिकी की इस डील से हथियारों की नई दौड़ शुरू होगी। चीन ने तीनों देशों पर परमाणु प्रसार प्रयासों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। दरअसल, चीन को पता है कि साउथ चाइना सी में अमेरिका ने उसे घेरने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड नाम का संगठन बनाया है। जिससे चीन पहले से ही परेशान है, अब चीन की नेवी ताक़त को चुनौती देने के लिए अमेरिका ने AUKUS नाम का नया संगठन बनाकर उसे और ज़्यादा बेचैन कर दिया है।
इसके साथ ही जापान के एक दावे ने भी चीन की नींद उड़ा रखी है। जापान ने कहा कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां आने वाले दशकों में ऑस्ट्रेलियाई नेवी को महीनों तक पानी के भीतर चीन की गतिविधियों पर नज़र रखने की काबिलियत देंगी। जिससे समंदर की लहरों के नीच चीन की हर चाल की भनक अमेरिका को रियल टाइम में पता चलती रहेगी।