Atiq Ahmad Murder: दोस्ती से शुरू हुई थी दुश्मनी की कहानी, 2004 से ही अतीक एंड फैमिली के खात्मे का काउंटाउन

अतीक़ गैंग ने राजू पाल को तो अपने रास्ते से हटा दिया लेकिन राजू पाल कस में शुरू हुआ क़ानूनी लड़ाई में वो फंसता चला गया। पहले उसने राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल का अपहरण कर लिया, वहीं अपहरण का केस वो पहला केस बना जिसमे अतीक़ अहमद को पहली बार सज़ा सुनाई गई थी। आपको बताते हैं कि राजू पाल के मर्डर से उमेशपाल मर्डर का क्या कनेक्शन हैं।

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एक समय ऐसा था जब राजू पाल और अतीक़ अहमद एक दूसरे के खासमखास हुआ करते थे, लेकिन बाद में दोनों के बीच अदावत हो गया। 2002 में राजू ने भी राजनीति में एंट्री कर ली। इसके बाद से दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई। 2004 में जब अतीक अहमद फूलपुर से सांसद बन गया तो इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से उसके छोटे भाई अशरफ़ ने चुनाव लड़ा। अशरफ़ के ख़िलाफ़ BSP ने राजू पाल को टिकट दे दिया और राजू पाल चुनाव जीत गए और बस यही से दोनों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हो गई।

दरअसल प्रयागराज के फूलपुर से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अतीक़ ने प्रयागराज पश्चिम सीट से इस्तीफ़ा दे दिया। अतीक़ के इस्तीफे के बाद खाली हुई विधानसभा सीट पर अतीक़ अपने भाई अशरफ़ को जिताना चाहता था लेकिन वहां से राजू पाल ने BSP के टिकट पर चुनाव लड़ा। उपचुनाव में राजू पाल ने अशरफ़ अहमद को हरा दिया, इस हार से अतीक़ अहमद इतना तिलमिलाया कि उसने राजू पाल की हत्या का प्लैन बना दिया। अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमा चुका अतीक़ नहीं चाहता था कि सियासत में भी उसके सामने कोई खड़ा हो, और 25 जनवरी 2005 को राजूपाल की हत्या कर दी गई।

2005 में राजू पाल का मर्डर कराने के बाद अतीक़ अहमद ने अपनी फ़ैमिली के लिए जो आधी क़ब्र खोदी थी, उसे 2023 में उमेश पाल का मर्डर कराने के बाद पूरी खोद दी। 2005 में हुए राजू पाल मर्डर केस में उमेश पाल गवाह थे और केस में लगातार पैरवी कर रहे थे। 28 फ़रवरी 2008 को कचहरी में गवाही से लौट रहे उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया। अपहरण कांड में अतीक, उसके भाई अशरफ समेत कई के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, अतीक़ गैंग की राजू पाल के साथ शुरू हुई दुश्मनी अब उमेश पाल कर आकर टिक गई। लाख दवाब और धमकियों के बावजूद उमेश पाल राजू पाल मर्डर केस में गवाही से मुकर नहीं रहे थे और अब उन्होंने अपने अपहरण की एक नई FIR A कंपनी पर करा दी थी।

केस में पैरवी चल रही थी और जैसे जैसे फ़ैसले की घड़ी क़रीब आ रही थी अतीक गैंग की बैचेनी बढ़ती जा रही थी। और इसी बीच अतीक़ गैंग ने उमेश पाल को रास्ते से हटाने का प्लैन तैयार कर दिया। बस यही भूल अतीक़ फैमिली को अतीत बनाने की सबसे बड़ी वजह बन रही है। इसी भूल ने असद को क़ब्र तक पहुंचा दिया है, क्योंकि 24 फ़रवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या को अंजाम देते वक्त अतीक़ की प्लैनिंग के बाद उमेश पाल की हत्या को अंजाम दिया गया। अतीक़ के साबरमती जेल जाने के बाद अतीक़ फैमिली का ख़ौफ लोगों में कायम रखने के लिए उमेश पाल के मर्डर के लिए असद ने ख़ुद हथियार उठा लिए, क्योंकि उसकी प्लैनिंग थी कि अतीक़ के बाद उसके सामराज्य को वो चलाए।

अतीक, अशरफ और असद
अतीक, अशरफ और असद

18 साल पहले जिस राजू पाल को मामूली विधायक समझ कर अतीक़ ने मौत के घाट उतारा था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वही राजू पाल एक दिन उसके साम्राज्य को खत्म कर देगा। और उसके बेटे असद को क़ब्र तक पहुंचा देगा। उमेश पाल के अपहरण केस में अतीक़ को क़ानून सज़ा सुना चुका है, लेकिन राजू पाल का केस अभी भी अतीक़ गैंग के लिए सिर दर्द बना हुआ है, उमेश पाल की हत्या में शामिल अतीक़ के बेटे असद का पुलिस एनकाउंटर कर चुकी है। और अंत में अतीक और इसके भाई अशरफ की भी हत्या उसे ही इलके प्रयागराज में कर दी गई।

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