पाकिस्तान आज आर्थिक और राजनीतिक रूप से बर्बाद होने के कगार पर है। इसी बीच अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों में शामिल ‘बैंक ऑफ़ अमेरिका’ की रिपोर्ट ने पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के सामने ला दी है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के हालात में सुधार आने की संभावना नहीं है। बताया कि जून का महीना ख़त्म होते ही पाकिस्तान की साख पूरी तरह ख़त्म हो जाएगी।
जून तक बिक जाएगा पाकिस्तान
अमेरिकी बैंक ने ये दावा पाकिस्तान द्वारा लिए गए कर्ज को ध्यान में रख कर किया गया है। पाकिस्तान को जून तक तीन सौ करोड़ डॉलर का क़र्ज़ लौटाना है। ये अलग अलग अंतरराष्ट्रीय बैंकों का कर्ज है, जिसे टाला नहीं जा सकता है। मतलब ये कि ये रकम अगर नहीं दी गई तो पाकिस्तान डीफ़ॉल्टर मुल्क हो जाएगा
पाकिस्तान का खेल ख़त्म!
अभी तक के हालात साफ़ इशारा कर रहे हैं कि पाकिस्तान के पास बचने का कोई रास्ता नहीं है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में जितनी रकम नहीं है, उतनी रकम उसे जून तक विदेशी बैंकों को देनी है। मतलब ये कि अगर पाकिस्तान को जल्द कोई क़र्ज़ नहीं मिला तो उसके लिए हालात और मुश्किल हो जाएंगे। बैंक ऑफ़ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक IMF से भी पाकिस्तान को बेल आउट पैकेज मिलना आसान नहीं है, जबकि पाकिस्तान ने IMF की ज़्यादातर शर्तें मान ली हैं। बुरे आर्थिक हालात में फंसे देशों को क़र्ज़ मुहैया कराने वाली संस्था International Monetary Fund यानी IMF ही पाकिस्तान की आख़िरी उम्मीद है।
बैंक ऑफ़ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक IMF से ज़्यादा उम्मीद पाकिस्तान को चीन से करनी चाहिए। क्योंकि चीन ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेनदार है। चीन से लिये क़र्ज़ के कारण ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस कदर बेहाल हुई है। बैंक की रिपोर्ट में साफ़ कहा गया कि पाकिस्तान को संकट से निकालने की ज़िम्मेदारी चीन की ही होनी चाहिए। हालांकि चीन पहले ही हाथ खड़े कर चुका है। बल्कि चीन तो पाकिस्तान पर कर्ज़ लौटाने के लिए दबाव बना रहा है।
पाकिस्तान का बचना नामुमकिन है!
ये तय माना जा रहा है कि जून तक पाकिस्तानकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डूब चुकी होगी। हालांकि पाकिस्तान की सरकार को अभी भी उम्मीद है कि IMF को बहुत जल्द बेल आउट पैकेज के लिए राज़ी करने में कामयाब हो जाएगा। हालांकि इसकी उम्मीद पाकिस्तान की सरकार के अलावा किसी को भी नहीं है। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फ़िच (fitch ratings) और मूडीज़ (MOODY’S) ने पाकिस्तान को झटका दे दिया है। इन दोनों ही संस्थाओं को लगता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की बुनियाद ही खोखली है।
पाकिस्तान की बर्बादी का काउंटडाउन
इसके साथ ही एक एक कर ज़्यादातर देशों की कंपनियां पाकिस्तान से बोरिया बिस्तर समेटने में लगी हैं। सबसे बड़ी मुसीबत तो पाकिस्तान की ये है कि उसने कुछ भी इम्पोर्ट करने पर बहुत सख़्त बंदिशें लगाई हैं। पाकिस्तान की कोशिश है कि विदेशी मुद्रा भंडार को खाली होने से रोका जाए, लेकिन इस चक्कर में वो अपने देश के काम धंधे भी चौपट करता जा रहा है। मतलब साफ़ है कि पाकिस्तान की कंगाली की कहानी जून से पहले अपने अंत तक पहुँच सकती है।