UTTARAKHAND BJP: उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड बीजेपी में सियासी कलह की तस्वीरें सामने आ रही हैं। पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत और मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी के बीच संकेतों और शब्दों की जंग छिड़ गई है।
अब पहाड़ पर शुरू हुआ सियासी प्रहार
मॉनसून का ये मौसम बीजेपी की नई टेंशन का मौसम बन गया है। यूपी के बाद अब उत्तराखंड में बीजेपी (UTTARAKHAND BJP) के भीतर सांकेतिक लड़ाई छिड़ गई है। और ये बात हर कोई समझता है कि राजनीति में किसी एक संकेत के क्या मायने होते हैं। BJP नेता और पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत का एक बयान उत्तराखंड में सियासी पारा बढ़ाने के लिए काफी है। जिसमें वो पार्टी नेतृत्व के फ़ैसलों पर अलग तेवरों के साथ सवाल उठा रहे हैं।
पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि ” किसी भी तरह के फैसले सलाह-मशविरा से होने चाहिए। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है।”
संकेतों की लड़ाई, सियासत गरमाई
बीजेपी के भीतर मची कलह की ये नई तस्वीर कार्यसमिति की बैठक (UTTARAKHAND BJP) से निकल कर आईं। जहां बीजेपी के दूसरे बड़े नेताओं की मौजूदगी में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत बेहद आक्रामक अंदाज़ में थे। लोग उनके बयान पर तालियां बजा रहे थे और तीरथ मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली पर तंज़ कस रहे थे।
कार्यसमिति की बैठत में तीरथ सिंह रावत ने कहा कि “जो आज कुर्सी पर हैं कल वो नहीं रहेंगे। जो कल आगे थे, आज पीछे बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब वह यूपी में MLC चुने गए थे, तब पुष्कर सिंह धामी लॉ कर रहे थे। वह उनके संघर्ष को बखूबी जानते हैं।
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पार्टी नेतृत्व पर सवाल, BJP में छिड़ा बवाल
माना जा रहा है तीरथ सिंह रावत के असंतोष का ये भाव पिछले लोकसभा चुनावों से पनप रहा है। पौड़ी लोकसभा सीट से पार्टी ने उनका टिकट काटा था और उनकी जगह अनिल बलूनी को उतारा था। शायद यही बात तीरथ सिंह रावत को रह रह कर सता रही है। लेकिन कहानी सिर्फ़ यहीं तक नहीं है। पुष्कर सिंह धामी के उस बयान के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। जिसमें वो शेर की खाल में भेड़िए का ज़िक्र कर रहे हैं।
इसी बीच पूर्व सीएम विजय बहुगुणा भी ऐक्शन में आए और अलग तेवरों में दिखाई दिए। हाल ही में बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव में हार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “केदारनाथ के लिए अगला उपचुनाव हर कीमत पर जीतना चाहिए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ सिर्फ़ एक और विधानसभा सीट नहीं है। यह प्रधानमंत्री के गौरव से जुड़ा है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “यह पहाड़ का इलाका है। छोटे-मोटे भूकंप के झटके तो आते रहते हैं। मगर, हिमालय नहीं हिलता।”
ज़ाहिर है उत्तराखंड बीजेपी (UTTARAKHAND BJP) की ये तस्वीरे बता रही है कि पहाड़ की राजनीति में कभी भी बड़ा खेल हो सकता है। क्योंकि यूपी की तरह यहां भी नसीहतों की सियासत का दौर शुरू हो गया है।