यूक्रेन में जंग शुरू होने से 6 महीने पहले अफ़ग़ानिस्तान में एक जंग छिड़ी थी, तालिबानियों ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी पर क़ब्ज़ा किया और फिर अपनी सरकार की घोषणा कर दी. अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान खाली कर दिया लेकिन बड़ी संख्या में अपने हथियारों, सैन्य साजो सामान छोड़कर चला गया और अब उसी पर व्लादिमीर पुतिन की नज़र है
ब्रिटिश मीडिया ने क्रेमलिन के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया है कि पुतिन का प्रशासन काबुल में तालिबानी सरकार के सम्पर्क में है और उनके साथ अमेरिका हथियारों और सैन्य वाहनों को लेकर समझौता कर रहा है, ताकि उन्हें यूक्रेन की जंग में उतारा जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, मॉस्को और काबुल में चर्चा हो रही है कि रूस तालिबान सरकार को मान्यता दे सकता है और बदले में तालिबान रूस को हथियार देगा। दावा है कि तालिबान अमेरिका से मिले हथियार रूस को दे सकता है, जो तालिबान ने तत्कालीन सरकार से छीन लिए थे। बता दें कि अमेरिका ने तब के अफगानिस्तान सरकार को 600 करोड़ रुपये के हथियार दिए थे।
ऐसी ख़बरें इशारा करती हैं कि क्रेमलिन के पास अपने जवानों को देने के लिए हथियारों की भारी कमी दिख रही है. इसी वजह से वो दूसरे मुल्क़ों से हथियार हासिल करने में लगा है. जिसमें सबसे सस्ता और आसान तरीक़ा है उस तालिबानी सरकार से अमेरिकी हथियार हासिल करना जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान क़ायम करने के लिए परेशान है और रूस और यूक्रेन का युद्ध उसके लिए मौक़ा बनकर आया है
इससे पहले मॉस्को ने तेहरान से हाथ मिलाया और वहां से न सिर्फ़ अटैक और सुसाइड ड्रोन की खेप हासिल की बल्कि कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान के साथ बलिस्टिक मिसाइल पर भी डील फ़ाइनल हो चुकी है। वहीं, ईरान के बाद अब रूस की नज़र तालिबान में पड़े अमेरिकी ख़ज़ाने पर है. अमेरिका ने 2001 में तालिबान को उखाड़ फेंकने के बाद सरकार को सहारा देने के लिए अफ़ग़ान सेना को 600 करोड़ रूपयों से ज़्यादा के हथियार और सैन्य उपकरण दिए थे. अमेरिकी दस्तावेजों के मुताबिक़ काबुल को बड़ी संख्या में बंदूकें, वाहन और मिलिटरी गियर सौंपे गए थे. मक़सद था तालिबानियों को आगे बढ़ने से रोकना लेकिन 2021 में तालिबानियों ने तख़्तापलट किया और अमेरिकी हथियारों पर भी क़ब्ज़ा कर लिया
अमेरिकी दस्तावेज़ों के मुताबिक़ 2001 में अफ़ग़ानिस्तान को दिए हथियारों में शामिल हैं। जिसमें 22,174 हम्वीज़, 634 M1117 बख़्तरबंद वाहन, 115 Maxx Pros ट्रक, 5,49,118 मशीन गन, असॉल्ट राइफ़लें, 33 ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, 23 सुपर टुकानो लड़ाकू विमान, 4 C130 मालवाहक विमान, 16,035 जोड़ी नाइट विज़न चश्मे, 1,62,043 रेडियो, 8,000 ट्रक शामिल है। हालांकि इनमें से सभी हथियार यूक्रेन के जंग में नहीं उतर सकते क्योंकि अमेरिकी फ़ौज़ अफ़गानिस्तान से निकलते वक़्त इन हथियारों में से अधिकतर को या तो नष्ट कर दिया था या अपने साथ लेकर चले गए थे. इतना ही नहीं कुछ उपकरण या तो बेकार हो गए हैं या फिर सेवा में नहीं हैं. फिर भी रूस को इन हथियारों और मिलिटरी गजेट्स से काफ़ी सहयोग मिलने की उम्मीद है और यही वजह है कि रूस और तालिबान हाथ मिला रहे हैं.
ब्रिटिश मीडिया ने क्रेमलिन सूत्रों के हवाले से बताया है कि मॉस्को ने काबुल के सामने ये प्रस्ताव रखा तो तालिबानी इससे हैरत में पड़ गए लेकिन वे इस पर मॉस्को के साथ लगातार बात कर रहे हैं और अगर बात बन गई तो ज़्यादा समय नहीं लगेगा जब मैदान-ए-जंग में रूसी सैनिक अमेरिकी हथियारों से लैस नज़र आएंगे