PROTEST IN POK: कश्मीर के जिस हिस्से पर पाकिस्तान ने क़ब्ज़ा जमा रखा है। वहां की सड़कों पर अब आज़ादी के नारे गूंज रहे हैं। खाने को रोटी नहीं है। चलने को सड़क नहीं है। अंधेरे में ज़िंदा रहने के लिए बिजली नहीं है। विद्रोह की आग में पूरा ग़ुलाम कश्मीर जल रहा है। सेना विद्रोहियों को बंदूकों से ख़ामोश करने में नाकाम हो रही है। इस्लामाबाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ POK पहुंचे। लेकिन जनता आज़ादी से कम कुछ भी क़बूल करने को तैयार नहीं। अब सवाल है कि इस आलम में ग़ुलाम कश्मीर पर कब तक क़ब्ज़ा रख पाएगा पाकिस्तान?
- महंगाई से त्रस्त, जनता पस्त
- दूध 200 रुपये लीटर
- आटा 800 रुपये किलो
- चावल 200-450 रुपये किलो
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पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में विद्रोह चरम सीमा पर पहुंच चुका है। अवाम सड़कों पर है। पाकिस्तान के सौतेले रवैया की शिकार सालों से दबा ग़ुस्सा अब ख़ून ख़राबे की शक़्ल अख़ित्यार कर चुका है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर पहुंचे। जनता से अमन की अपील की। लेकिन इसका रत्तीभर भी असर नहीं हुआ। उलटे हज़ारों की तादाद में लोग घरों से निकल सड़कों पर आज़ादी के नारे लगाते दिखे।
पीओके के समाहनी, सेहंसा, मीरपुर, रावलकोट, खुइरट्टा, तत्तापानी और हट्टियन बाला इलाकों में विद्रोह चरम पर है। मुजफ्फराबाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और फायरिंग भी की।
कब तक जलेगा Pok?
- समाहनी
- सेहंसा
- मीरपुर
- रावलकोट
- खुइरट्टा
- तत्तापानी
- हट्टियन बाला
- मुज़फ़्फ़राबाद
POK में विद्रोह की तीन बड़ी वजहें
पीओके के लोगों का विद्रोह (PROTEST IN POK) क्यों आग की तरह धधक रहा है तीन प्वाइंटस में पहले समझ लेते हैं। उसके बाद बताएंगे कि कैसे पीओके का परमानेंट विलय हिन्दुस्तान में होगा।
विद्रोह की पहली वजह: महंगाई
लोग 200 रुपये लीटर से भी महंगा दूध खरीदकर पी रहे हैं, जबकि एक किलो आटा खरीदने के लिए 800 पाकिस्तानी रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। एक किलो चावल 200 रुपये से 450 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।
विद्रोह की दूसरी वजह: सालों से पाकिस्तान का सौतेला व्यवहार
पीओके में पैदा हो रही बिजली की सप्लाई के सहारे पूरा पाकिस्तान चलता है। लेकिन ख़ुद पीओके में बिजली पर टैक्स कमरतोड़ बोझ की तरह हुक़ूमत ने बढ़ा दिया है।
विद्रोह की तीसरी वजह: पीओके की अवाम पाकिस्तान को अपना वतन नहीं मानती
आज़ादी के बुलंद होते नारे को दशकों से पाकिस्तान की फ़ौज तोप और बंदूक के दम पर दबाए हुए है लेकिन ज़ुल्मों सितम की अब पीओके में इंतेहा हो गई है। ग़रीबी और जेहालत में जीने को मजबूर जनता अब इस्लामाबाद के थोपे फ़ैसले के ख़िलाफ़ जंग पर उतारु दिख रही है। पीओके में इस वक़्त अराजकता ने डेरा जमा लिया है। जिधर नज़र जाती है पुलिस पब्लिक के बीच घमासान छिड़ा है।
भारत में POK के शामिल होने का विकल्प
सवाल है कब तक पीओके की जनता सहती रहेगी पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तानी फ़ौज का अत्याचार?
कब तक बना रहेगा पीओके पाकिस्तानी फ़ौज के पाले आतंकियों का अड्डा?
इस सवाल का जवाब है पीओके का भारत में विलय होने पर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यही कह रहे हैं कि पीओके हमारा है और हम इसे लेकर रहेंगे।
लेकिन ये कैसे संभव हो पाएगा कि पीओके की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद में भी हिन्दुस्तान का तिरंगा लहराता नज़र आए।
पहला विकल्प
पीओके में हिन्दुस्तान का डायरेक्ट आर्मी ऐक्शन
हिन्दुस्तान की फ़ौज सीधा ग़ुलाम पाकिस्तान में घुसे और पाकिस्तानी फ़ौज का सीना चीरती हुई पीओके पर क़ब्ज़ा कर ले।
हालांकि वर्तमान विश्व व्यवस्था में डायरेक्ट ऐक्शन के पहले सारे विकल्पों को आज़मा लिया जाना ज़रूरी है।
दूसरा विकल्प
संयुक्त राष्ट्र में हिन्दुस्तान में पाकिस्तान पर पीओके छोड़ने पर दबाव बनाए।
तीसरा विकल्प
पीओके की जनता ख़ुद ही हिन्दुस्तान तिरंगा लेकर ख़ुद को आज़ाद घोषित करे और हिन्दुस्तान की आर्मी पीओके में विद्रोही अवाम को साथ देने उतरे।
PoK में कैसे लहराएगा तिरंगा?
पहला विकल्प
हिन्दुस्तान का डायरेक्ट आर्मी ऐक्शन
दूसरा विकल्प
UN में पाकिस्तान पर दबाव बनाए
तीसरा विकल्प
जनता तिरंगा लेकर खुद को आज़ाद घोषित करे
भारक को क्या फायदा होगा?
आज ना कल ये संभव है लेकिन इसके लिए हिन्दुस्तान को बड़ी तैयारी करनी होगी। अब यहां ये देखना बहुत ज़रूरी है कि पीओके भारत में शामिल होता है तो कितने फ़ायदे हैं।
पहला फ़ायदा
सीमा पार से आने वाले आतंकवादियों का खात्मा
पीओके में पाकिस्तान ने आतंकियों के सैकड़ों लॉन्च पैड बना रखे हैं। यहीं से पाकिस्तान हिन्दुस्तान की सीमा में घुसपैठ कराता है।
दूसरा फ़ायदा
एंटी इंडिया पाकिस्तान, चीन, तालिबान धुरी पर लगाम
पीओके पर भारत के क़ब्ज़े से मध्य पूर्व एशिया से दूरी सिमट जाएगी। चीन रणनीतिक रूप से कमज़ोर होगा।
तीसरा फ़ायदा
गिलगित बाल्टिस्तान के ज़रिए चीन अपने कास्गर से ग्वादर बंदरगाह को कनेक्ट करना चाहता है।
चीन के वन बेल्ट वन रोड के ज़रिए साम्राज्यवाद की मानसिकता के फैलाव पर रोक लगेगी।
चौथा फ़ायदा
पीओके के गैस और तेल का रिसोर्सेज़ पर अधिकार
पीओके प्राकृतिक संसाधनों से लैस है। कब्ज़े की सूरत में भारत की आर्थिक शक्ति में इससे इजाफा होगा
पांचवां फ़ायदा
पर्यटन में भारी बढ़ोतरी
पीओके दुनिया के सबसे शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक है।
PoK के भारत में शामिल होने के फ़ायदे
पहला फ़ायदा
सीमा पार से आतंक का खात्मा
दूसरा फ़ायदा
एंटी इंडिया पाकिस्तान
चीन, तालिबान धुरी पर लगाम
तीसरा फ़ायदा
चीन कास्गर से ग्वादर
बंदरगाह को नहीं जोड़ पाएगा
चौथा फ़ायदा
गैस और तेल का रिसोर्सेज़ पर अधिकार
पांचवां फ़ायदा
पर्यटन में भारी बढ़ोतरी
लेकिन ये फ़ायदे तभी हो सकते हैं जब भारत के पास उस स्तर को ग्लोबल सपोर्ट हो। आर्मी ऐक्शन के लिए ज़रूरी है अफगानिस्तान में प्रो इंडिया सरकार हो और संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों में अमेरिका जैसे देश भारत के साथ खड़े हों। ये होना नामुमकिन नहीं है लेकिन एक झटके में कर पाना मुश्किल है। 2019 के बाद बदलती परिस्थिति और पीओके में रोज़ाना विद्रोह की धधकती आग भारत के लिए मुफीद है।