Israel Iran Attack: अमेरिका लंबे अरसे से अपनी खास रणनीति पर काम कर रहा है। एक एक कर अमेरिका ने कई फ्रंट से छुटकारा पाया है। दुनिया भर में कई देशों में अमेरिका के सैनिक मौजूद हैं। कई देशों में अमोरिका का सैन्य बेस है। लेकिन बदलते हालात के बीच अमेरिका दूसरे देशों से अपने सैनिक वापस बुला रहा है।
Israel Iran Attack: कई देशों से सैनिकों की वापसी
5 मई 2018 अमेरिका ने दक्षिण कोरिया से अपने सैनिकों की संख्या कम करने का फैसला लिया था । तब दक्षिण कोरिया में 28,500 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती थी। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने सोमालिया से अपनी फौज हटा ली थी। ISI के ख़िलाफ ऑपरेशन में लगे सुपरपावर के 700 सोल्जर वापस बुलाए गए थे। 2020 में इराक में मौजूद 5 हजार जवानों में भी अमेरिका ने कमी की थी। अमेरिका ने 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से 3,000 सैनिकों की वतन वापसी करवाई। हाल ही में अमेरिका ने ऐलान किया है कि वो नाइज़र से अपने 1000 सैनिक हटाएगा।
कई देशों में US सैन्य बेस
अमेरिका ने पश्चिम अफ्रीकी देशों से सैनिकों की वापसी का पूरा प्लैन बना रखा है । यही रोडमैप आगे मिडिल ईस्ट में भी लागू हो सकता है । हालांकि अमेरिका कभी भी पूरी तरह इस इलाके से दूरी बनाने का जोखिम नहीं उठाएगा ।
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Israel Iran Attack: कई देशों में अमेरिकी सैनिक
- दुनिया भर में अमेरिका के 800 मिलिट्री बेस हैं ।
- दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में अमेरिकी फौज तैनात
- एशिया में कतर का अल उदीद एयर बेस अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है
- जहां 11,000 अमेरिकी सैन्य कर्मियों की तैनाती है
- इस एयर बेस से अमेरिका खाड़ी के 18 देशों में अपने सैन्य ऑपरेशन अंजाम दे सकता है
Israel Iran Attack: अरब देशों में बढ़ते तनाव से संकट
अब अमेरिका के लिए यही सैन्य तैनाती मुश्किल की भी वजह बनती है । खाड़ी में मौजूद तमाम आतंकी गुट इन अड्डों को आए दिन टारगेट बनाते हैं । अमेरिका को दुश्मन चुनने की जरूरत भी नहीं पड़ती उससे दुश्मनी मोल लेने खुद ब खुद आ जाते हैं। ऐसे हालात में अमेरिका एक नया फ्रंट पर आर पार की जंग से बचने की रणनीति अपना रहा है। इसी बीच इज़राइल से जारी तनाव के बीच ईरान का गुस्सा सातवें आसमान पर है। इज़राइल के हमले से घायल ईरान पलटवार की तैयारी में हैं।
अरब वर्ल्ड में ईरान का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है। इराक, सीरिया, जॉर्डन, तुर्की जैसे इस्लामिक देश सीधे तौर पर ईरान को सपोर्ट करते हैं । ऐटमी ताकत पाकिस्तान भी खुलकर ईरान के साथ है। ऐसे में अकेला इज़राइल सभी देशों से टक्कर ले पाएगा ऐसा मुमकिन नहीं। ये भी सच है कि इज़राइल बिना नैटो और अमेरिका के सपोर्ट के जंग में उतरने की ग़लती कभी नहीं करेगा ।