रूस के मून मिशन को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को चांद की सतह पर लैंडिंग की तैयारी में लगा इसका स्पेसक्राफ्ट लूना-25 क्रैश हो गया है। जानकारी के मुताबिक लूना-25 प्रपोल्शन मैनूवर के समय चांद की सतह से टकरा गया था। इस वजह से ही वह दुर्घटना का शिकार हो गया है। शुरुआती जांच के आधार पर यह माना जा रहा है कि चांद की सतह से टकराने के बाद लूना-25 से उनका संपर्क टूट गया।
रूस के समय के मुताबिक 19 अगस्त को 2 बजकर 57 मिनट पर लूना का संपर्क टूट गया था। 21 अगस्त को इसकी चांद पर सॉफ्ट लैंडिग होनी थी. रूस ने 11 अगस्त को लूना-25 को लॉन्च किया था। एक दिन पहले ही रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कॉस्मॉस ने बताया था कि लैंडिंग से पहले ऑर्बिट बदलते वक्त आसामान्य स्थिति आ गई, जिस वजह से लूना-25 ठीक ढंग से ऑर्बिट बदल नहीं सका। स्पेस एजेंसी की तरफ से बताया गया था कि विशेषज्ञ अचानक आई दिक्कत से निपटने में फिलहाल असफल रहे थे। इससे पहले लूना-25 ने चांद के जमीन क्रेटर की तस्वीरें पोस्ट की थीं।
19 अगस्त तक पूरी दुनिया में रूस के जिस मिशन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही थी। 11 अगस्त को लॉन्चिंग के बाद रूस का जो मिशन 11 दिन में चांद के सरफेस तक पहुंचने वाला था। जिस मिशन के कामयाब होने पर रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बनने वाला था। रूस के उसी लूना-25 मिशन पर ग्रहण लग गया।
रूस की स्पेस एजेंसी रॉस्कोमोस मुताबिक शनिवार शाम को लूना-25 से संपर्क टूट गया था। दावा किया गया कि प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान तकनीकी खराबी आई थी। जिसके बाद लूना को 21 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करना था। सुबह से चंद्रमा पर सॉलिड लैंडिंग की कोशिश की गई, किन वो नाकाम होती गई। लूना-25 के फ्लाइट प्रोग्राम के मुताबिक प्री-लैंडिंग कक्षा में प्रवेश कराने के लिए कमांड दिया गया था। किन इस दौरान लूना पर इमरजेंसी कंडीशन बन गई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट तय पैरामीटर के अनुसार थ्रस्टर फायर नहीं कर पाया। इससे स्पेसक्राफ्ट एक ऑफ-डिजाइन कक्षा में चला गया और चांद पर क्रैश हो गया।
रूस की स्पेस एजेंसी ने जो बयान जारी किया था उसके मुताबिक ‘ऑपरेशन के दौरान ऑटोमैटिक स्टेशन पर असामान्य हालात पैदा हो गए। इस वजह से स्पेसिफाइड पैरामीटर के मुताबिक मैन्युवर नहीं हो पा रहा था। लूना-25 मिशन को 11 अगस्त को लॉन्च किया गया था। आगर सबकुछ ठीक रहता तो स्पेसक्राफ्ट 21 अगस्त को चांद पर लैंड करता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रूस ने 50 सालों के बाद दूसरी बार मून मिशन लॉन्च किया था, जिसे 21 अगस्त को चांद की सतह पर उतरना था, लेकिन रूस का ये सपना टूट गया। अब पूरी दुनिया की नजरें भारत के चंद्रयान 3 पर टिकीं हैं।
भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग की थी
जबकि रूस ने 11 अगस्त को लूना 25 लॉन्च किया था
चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी
जबकि लूना-25 ने चंद्रमा के लिए सीधा रास्ता अपनाया था
चंद्रयान-3 पूरे 40 दिन के सफर के बाद लैंडिग की तैयारी में है
जबकि लूना-25 सीधे 11 दिन में चांद तक पहुंचने वाला है।
भारत के चंद्रयान-3 का वजन 3 हजार 800 किलोग्राम है
जबकि रूस के लूना-25 का वजन मात्र 1 हजार 750 किलोग्राम है