MISSION CHANDRAYAN-3: चांद को छुने का प्रयास… 1 अरब 40 करोड़ लोगों के सपने को साकार करने का प्रयास। चांद पर परचम लहराने का प्रयास… एक बार फिर हम चांद की जमीं पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। तारीख़, समय सब तय हो चुका है। बस इंतजार है तो चांद को छूने का और चांद पर पहुंचने का…।
MISSION CHANDRAYAN-3: चंद्रयान 3 का काउंटडाउन
हिंदुस्तान की बड़ी छलांग की घड़ी करीब आ रही है। वो चांद जो हमारे आसमां में हमारे सबसे करीब है। अब वक्त चांद को दूर से निहारने का नहीं… बल्कि समय, चांद की जमीं तक पहुंचने का है। देश ने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है।
तारीख- 14 जुलाई, 2023
समय – दोपहर 2:35 बजे
ये वो समय और वो तारीख है… जब इसरो चांद के करीब पहुंचने की यात्रा में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 (MISSION CHANDRAYAN-3) को लॉन्च करेगा। ये सिर्फ इसरो की उम्मीद नहीं है बल्कि करोड़ों हिंदुस्तानियों की उम्मीद है। एक सपना है, जिसके पूरा होने का इंतजार हर हिंदुस्तानी को बरसों से है। पूरी दुनिया की नजर इसरो के मिशन चंद्रयान पर है। सारी तैयारियां चाक चौबंद है। बस कुछ घंटों का फासला रह गया है, जब 140 करोड़ भारतीयों के सपनों की उड़ान के साथ इसरो का अंतरिक्ष यान चांद की राह पर कदम बढ़ाएगा।
MISSION CHANDRAYAN-3: मिशन चंद्रयान से क्या फायदा?
ऐसे में अब इसरो की नजर, चांद की सतह में छिपे उन रहस्यों से पर्दा उठाने की है, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
- चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर
- चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा
- चांद की मिट्टी की जांच करेगा
- चांद के वातावरण की रिपोर्ट देगा
- चांद पर मौजूद खनिज खोजेगा
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MISSION CHANDRAYAN-3: कहाँ उतरेगा चंद्रयान?
चंद्रयान-3 चांद से जुड़े उन तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा, जिनसे अब तक दुनिया अंजान है। क्योंकि चांद की आधी सतह चमकती हुई है, मतलब जहां तक रोशनी पहुंचती है। वहीं, आधी सतह घुप अंधेरे में डूबी है।
- चंद्रयान-3 का लैंडर मिशन चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से 100 किमी. दूर उतरेगा
- चांद के इस हिस्से में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं
- तापमान बेहद कम होता है
- तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
- लिहाजा पानी मिलने की संभावना कहीं ज्यादा है
MISSION CHANDRAYAN-3: सभी 10 फेज के बारे में जानिए
यानी इसरो की कोशिश चांद को लेकर अब तक हुई खोज से कहीं आगे बड़ी लकीर खींचने की है, तो चांद पर हिंदुस्तान के कदम पड़ने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। चंद्रयान-3 (MISSION CHANDRAYAN-3) इस बार 10 चरणों में चंद्रमा की सतह तक पहुंचेगा। पहला चरण धरती पर होने वाले काम है। पहले फ़ेज़ में तीन स्टेज आते हैं।
- पहला – लॉन्च से पहले का स्टेज
- दूसरा- चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक ले जाना
- और तीसरा- धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 (MISSION CHANDRAYAN-3) को आगे बढ़ाना।
- इस दौरान चंद्रयान-3 करीब छह चक्कर धरती के चारों तरफ लगाएगा। फिर वो दूसरे फेज़ की तरफ बढ़ जाएगा
दूसरा से चौथा फेज
- दूसरा फ़ेज़ लूनर ट्रांसफर है। यानी चंद्रमा की तरफ भेजने का काम। इस फेज़ में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर किया जाता है। यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है।
- तीसरा फ़ेज़ लूनर ऑर्बिट इंसर्सन है। यानी चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 (MISSION CHANDRAYAN-3) को भेजा जाएगा
- चौथा फ़ेज़, इसमें सात से आठ बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रयान-3 (MISSION CHANDRAYAN-3) चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर देगा।
पांचवां से सातवां फेज
- पांचवें फ़ेज़ में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एकदूसरे से अलग होंगे।
- छठा फ़ेज़ डी-बूस्ट फेज है यानी जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें गति को कम करना।
- सातवां फ़ेज़ प्री-लैंडिंग फेज है यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति। इसके बाद लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी।
आठवां से दसवां फेज
- आठवें फ़ेज़ में लैंडिंग कराई जाएगी।
- नौवें फ़ेज़ में लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे।
- दसवें फ़ेज़ में प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना।
चंद्रमा पर कब पहुंचेगा चंद्रयान?
30 से 40 दिन लैंडर को चांद की सतह पर पहुंचने में लगेंगे। इन सभी चरणों को पूरा करने में यानी 14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 30 से 40 दिन लगेंगे। मतलब, मिशन की सफलता की करोड़ों उम्मीदों के साथ चांद की दुनिया में कदम रखने को देश बेताब है।
चंद्रयान 3 की ख़ासियत
- प्रोपल्शन वज़न- 2,148 किलो ग्राम
- लैंडरवज़न- 1,726 किलोग्राम
- रोवर वज़न- 26 किलोग्राम
- लैंडर के साथ 4 पेलोड होंगे
- लैंडर की ऑन बोर्ड पावर- 38 वॉट
- रोवर की ऑन बोर्ड पावर- 50 वॉट
भारत के लिए चंद्रयान 3 क्यों ज़रुरी?
- चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
- बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा उपयोगी जगह
- चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना
- अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित करना
चंद्रयान 3 के 10 क़दम
- फ़ेज़ 1 चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक ले जाना
- फ़ेज़ 2 स्पेसक्राफ़्ट सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा
- फ़ेज़ 3 चांद की कक्षा में चंद्रयान 3 को भेजा जाएगा
- फ़ेज़ 4 चांद की सतह से 100 km ऊंची कक्षा में चंद्रयान 3 चक्कर लगाना शुरू करेगा
- फ़ेज़ 5 प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल अलग होंगे
- फ़ेज़ 6 चंद्रयान 3 अपनी गति को कम करना शुरू करेगा
- फ़ेज़ 7 चांद पर लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी
- फ़ेज़ 8 चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतरेगा
- फ़ेज़ 9 लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरकर सामान्य होंगे
- फ़ेज़ 10 चंद्रमा की 100 km की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल की वापसी