Ghaziabad Conversion Case: गेम जीतने के लिए हिन्दू बच्चों को कुरान पढ़ाता था, फिर मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर करता था, जानिए पूरा प्रॉसेस

गेमिंग ऐप के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा नाबालिग़ों का धर्मातरण कराया जा सके, इसके लिए उन्हें गेम जीतने का लालच दिया था। गेम जीतने के लिए उन्हें क़ुरान की आयते पढ़ने की सलाह दी जाती थी। फिर उन्हें विश्वास में लेकर ये पूरा धर्मांतरण का खेल शुरू होता था।

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गेमिंग ऐप के ज़रिए धर्मांतरण मामले में एक के बाद एक परते खुलती जा रहीं है। गेमिंग ऐप से बच्चों को टारगेट करने के लिए एक फुलपूफ्र साज़िश रची गई थी। हम आपको एक एक करके बताते है कि किस तरीक़े से बच्चों धर्मांतरण के जाल में फंसाया जाता था। सबसे पहले एक गैंग इन बच्चों को टारगेट करने के लिए फ़ोर्टनाइट नाम की गेमिंग ऐप पर दूसरे धर्मों के नाम से फ़र्ज़ी आईडी बनाते थे और गेम खेलते थे। उसमें अगर कुछ बच्चे जब हार जाते थे तो उन्हें क़ुरान का कुछ हिस्सा भेजा जाता था। जिसे पढ़ने की सलाह दी जाती थी।

हिंदू बच्चों को कुरान पढ़ाता था

इसके बाद उन बच्चों को विश्वास दिलाया जाता था कि क़ुरान की आयतें पढ़ने से वो गेम जीत जाएंगे। उसके बाद शुरू होता था धर्मांतरण का खेल। उनके इस जाल में जब कुछ बच्चे फंस जाते थे। तो उन्हें लगातार क़ुरान की आयतें पढ़ने की सलाह दी जाती थी। आयतें पढ़ने के बाद जो बच्चे जीत जाते थे। गेम में जीत के बाद लगातार उनका भरोसा इस्लाम में बढ़ाया जाता था। जिसके बाद बच्चे गेम जीतने के लिए क़ुरान पढ़ने लगते थे।

बच्चों का धर्मांतरण कराने का आरोप

गेमिंग ऐप से धर्मांतरण का खेला
यहां साज़िश का पहला पड़ाव पूरा हो जाता था। अब बारी आती थी उन बच्चों को धर्मांतरण की साज़िश के अगले चरण पर ले जाने की। जिसमें डिस्कार्ड नाम के चैटिंग ऐप से बच्चों को जोड़ा जाता था। और इस्लामिक चैट ग्रुप में शामिल किया जाता था। जहां उन्हें गेम में जीत दिलाने के लिए इस्लामिक रीति रिवाज़ों को सीखने के लिए बरगलाते थे। जिसमें नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा भी बताया जाता था। जब एक बार गेम खेलने वाले बच्चे उनके झांसे में आ जाते थे। तो उसके बाद उन्हें साज़िश के तीसरे पायदान पर ले जाया जाता था। जिसमें वो बच्चों से सीधे जुड़ते थे। उन्हें भड़काऊ इस्लामिक नेताओं के विडियो भेजे जाते थे। जिसमें ज़ाकिर नाइक और तारिक़ जमील के विडियो भेजे थे। जिससे उनका ब्रेनवॉश किया जाता था।

गेमिंग ऐप से धर्मांतरण का खेल

मौलवी और मस्जिद का कनेक्शन

इसके बाद शुरू होता था आख़िरी लेवल जिसके पूरा होते ही गेम खेलने वालों का पूरी तरह से धर्मांतरण किया जाता था। आख़िरी लेवल में एक लोकल मौलवी ऐक्टिव होता था। गेम खेलने वालों को लोकल मौलवी से मिलने के लिए और मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए कहा जाता था। इस दौरान उन्हें पहचान छिपाने की हिदायत और मस्जिद में किसी से भी ना बात करने का निर्देश भी दिया जाता था। इस लेवल के पूरा होने के बाद बच्चों का पूरी तरह से धर्मांतरण कर दिया जाता था।

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