चमत्कार, चुनौती और चर्चा। बाबा बागेश्वर की यही सबसे बड़ी ताक़त है। अपने दरबार में बाबा बागेश्वर जिन चमत्कारों को दिखाते हैं। जिन श्रद्धालुओं के मन में उठ रहे सवालों को कागज पर उकेर देते हैं। और उनकी उलझनों, समस्याओं, परेशानियों के दूर हो जाने की भविष्यवाणी जिस तरह से करते हैं। उसी से श्रद्धालुओं का अटूट भरोसा बागेश्वर सरकार पर जम जाता है, और विरोधियों के दिल में बेचैनी बढ़ा देता है।
बाबा के चमत्कार से किसको चिढ़?
बिहार में धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर उर्फ बागेश्वर सरकार ने अपनी लोकप्रियता का जो ट्रेलर दिखाया। उसे देखकर बिहार की सियासत भी सन्न रह गई। धीरेंद्र शास्त्री को जब भी किसी ने चुनौती दी है तब तब उन्होंने मंच से अपने चमत्कारों की नुमाइश की है। और चुनौती देने वाले के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा मारा है। लेकिन इस बार मामला कुछ और है। इस बार बाबा की ताक़त को चुनौती नहीं दी गई है। इस बार धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों पर सवाल खड़े नहीं किए गए हैं। बल्कि इस बार उनके चमत्कारों की ताक़त को मानते हुए उन्हें चमत्कार दिखाने से बचने की सलाह दी गई है।
चमत्कार से परहेज की नसीहत
इस बार बाबा बागेश्वर को ये सलाह दी है महाराज उमाकांत ने। लेकिन इशारों में उन्होंने बाबा बागेश्वर का नाम लिए बिना ही उन्हें चमत्कार दिखाने से बचने की सलाह दी। महाराज उमाकांत ने कहा कि चमत्कार दिखाना ये बहुत छोटी चीज़ है। चमत्कार दिखाने से अहंकार आ जाता है। और करा कराया सब गया जब आया अहंकार। इसलिए चमत्कार दिखाने से जो आध्यात्मिक शक्ति होती है, वो क्षीण हो जाती है। और जब सम्मान बढ़ता है तो तमाम तरह की विकृतियां मनुष्य के अंदर आ जाती हैं। जिसकी वजह से समाज भी बदनाम होता है। और उनके आध्यामिक विकास में भी बाधा आती है। इसलिए चमत्कार दिखाया नहीं जाता है।
चमत्कार दिखाएंगे तो ‘बाबा’ पछताएंगे?
महाराज उमाकांत, महान तपस्वी जय गुरुदेव के अनुयायी हैं। उज्जैन में मक्सी रोड पर स्थित जय गुरुदेव आश्रम में इन दिनों जय गुरुदेव जी महाराज का 11वें वार्षिक पावन पर्व मनाया जा रहा है। जिसमें शामिल होने के लिए करीब 2 लाख श्रद्धालु बाबा जय गुरु देव के शिष्य सतगुरु उमाकांत महाराज के प्रवचन सुनने पहुँचे है। इसी मौके पर मीडिया ने जब उनसे आध्यात्मिक चमत्कार को लेकर सवाल किया तो उन्होंने चमत्कार दिखाने से परहेज करने की सलाह दे दी। तो सवाल है कि उमाकांत महाराज ने चमत्कार दिखाने से परहेज करने की बात क्यों कही। जबकि खुद बाबा जय गुरुदेव चमत्कार दिखाने के लिए ही जाने जाते थे। उमाकांत महाराज जानते थे ये सवाल उठेगा। लोग पलटकर उनसे यही सवाल पूछ बैठेंगे। इसीलिए उन्होने बिना पूछे ही जय गुरुदेव के चमत्कारों का भी जिक्र किया। लेकिन उसे बाबा जय गुरुदेव की दया भावना बताते हुए जायज बताया।
तो क्या वाकई चमत्कार दिखाने से आध्यात्मित शक्ति ख़त्म हो जाती है। क्या बाबा बागेश्वर को मिली शक्तियां भी धीरे धीरे ख़त्म हो जाएंगी या जिस तरह से बाबा बागेश्वर की लोकप्रियता बढ़ रही है उसी तरह से उनकी चमत्कारी शक्तियां भी बढ़ेंगी। इस सवालों ने संतों के बीच में बड़ी बहस को जन्म दे दिया है।