इमरान ख़ान की रिहाई पाकिस्तान को और जला सकती है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सेना को आंख दिखाते हुए इमरान को रिहा करवा दिया। जिस पर वहां की फौज के साथ सरकार आकर खड़ी हो गई। जिसने अब इन कयासों को हवा दे दी कि क्या पाकिस्तान में एक बार फिर मार्शल लॉ लगने वाला है या फिर गिरफ़्तारी से पहले जो संग्राम छिड़ा वो और भड़कने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने इमरान की गिरफ़्तारी पर जो तेवर दिखाए, वो जनरल मुनीर और शहबाज़ शरीफ़ के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हुआ। एक तरह से पाकिस्तान के इतिहास में ये पहली बार हुआ, जब सेना और सरकार दोनों की ज़बर्दस्त हार हुई। जबकि इस अदालती लड़ाई में इमरान जीत गए। तभी तो पहले जिस पठान को इस्लामाबाद में हाई कोर्ट से घसीटकर ले जाया गया था। 50 घंटे बाद उसी शहर में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के गलियारे से वो आंखों पर काला चश्मा लगाए मुस्कुराते हुए निकले।
मतलब एक तो इमरान छूट गए और उनके कार्यकर्ता जश्न में डूब गए। जिसे देखकर शहबाज़ सरकार की त्योरियां चढ़ गई और सीने पर सांप लोटने लगा। यही से सारा खेल शुरू हुआ। पाकिस्तान सरकार ने इसे नाक का सवाल बना लिया। उसे लग रहा है सेना के साथ खड़े होने के बाद भी भारी बेइज्जती हो गई। लिहाजा शहबाज सरकार ने तुरंत धमकियों का सिलसिला शुरू कर दिया। पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरगंज़ेब ने इमरान खान के बहाने सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही आंख दिखा दी। उन्होंने कहा कि अगर इमरान खान को छोड़ दिया गया तो पाकिस्तान और जलेगा। पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरगंज़ेब के बयान के बाद अंदेशा है कि पाकिस्तान के लिए अभी मामला ठंडा नहीं पड़ने वाला है। मतलब अभी वहां की सियासत में असली तूफ़ान और मुल्क में ज़बर्दस्त भूचाल आने वाला है। गृह युद्ध की आग में तो वो पहले से झुलस रहा है।
उससे पहले जब इमरान की रिहाई का ऑर्डर आया, तो हिंसा में थोड़ी कमी आई। लेकिन ये तूफ़ान के आने से पहले की खामोशी भी हो सकती है। क्योंकि तेवर ना तो सरकार के कम हैं और ना ही इमरान के ढीले। तो सवाल ये कि क्या पाकिस्तान में महासंग्राम होकर रहेगा? क्या अब सड़क पर इमरान सरकार से दो दो हाथ करेंगे? लगता तो कुछ ऐसा ही है। शायद इसलिए राजधानी इस्लामाबाद समेत पाकिस्तान के कई शहरों में सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई। इस्लामाबाद में रैली और जनसभा या भाषण देने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। चेतावनी भी दी गई है कि अगर किसी ने कुछ गड़बड़ की तो उसके साथ पुलिस सख़्ती से पेश आएगी।
कहा तो ये भी जा रहा है बेशक सुप्रीम कोर्ट ने इमरान ख़ान को आज़ाद कर दिया। लेकिन उनके ख़िलाफ़ इतने मुक़दमे दर्ज हैं कि किसी न किसी केस में उनको फिर से गिरफ़्तार भी किया जा सकता है। इससे तो यही लग रहा है कि सेना हो या सरकार, वो खुद नहीं चाहती कि पाकिस्तान में लगी आग ठंडी पड़े। चर्चा तो इस बात की भी शुरू हो गई कि जिस तरह से सरकार धमकी पर उतर आई है, तो कहीं हिंसा और आगज़नी की आड़ में पाकिस्तान में एक बार फिर मार्शल लॉ ना लग जाए।
पाकिस्तान में हालात ऐसे हो गए कि सेना उतारनी पड़ी। आशंका जताई जा रही है कि सरकार और विपक्ष के झगड़े का फायदा सेना उठा सकती है। पाकिस्तान में एक बार फिर से मार्शल लॉ लग सकता है। इससे पहले पाकिस्तान में चार बार मार्शल लॉ लग चुका है।
कब कब लग चुका है मार्शल लॉ?
- पहली बार अक्टूबर 1958 में मार्शल लॉ लगा था
- फ़ील्ड मार्शल अयूब ख़ान ने पहली बार मार्शल लॉ लगाया था
- दूसरी बार 1969 में मार्शल लॉ लगाया गया था
- जिसे जनरल याहिया ख़ान ने लगाया था
- तीसरी बार जुलाई 1977 में मार्शल लॉ लगा था
- जनरल जिया उल हक़ ने तीसरी बार मार्शल लॉ लगाया था
- वहीं, चौथी और अंतिम बार अक्टूबर,1999 को मार्शल लॉ लगाया गया था
- जिसे जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के द्वारा लगाया गया था