यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस ने बहुत ही बड़ा दावा किया है। रूस के मीडिया के मुताबिक़ फ़िनलैंड में अमेरिकी फ़ौज की तैनाती होने जा रही है। जिसके बाद रूस बुरी तरह भड़क गया। गुस्साए रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने फ़िनलैंड के साथ ही NATO को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली। पुतिन ने साफ़ कह दिया कि अगर अमेरिका, फ़िनलैंड की ज़मीन या समुद्री सीमा का इस्तेमाल करेगा, तो रूस की सेना को मजबूरी में जवाबी कार्रवाई करनी पड़ेगी।
इसका सीधा मतलब होगा कि अमेरिका और रूस की सेनाएं बिल्कुल आमने सामने आ जाएंगी। लड़ाई पर्दे के पीछे वाली ना होकर सीधी हो जाएगी। हालांकि ज़ेलेंस्की की सबसे ज़्यादा मदद करके अमेरिका एक तरह से रूस के ख़िलाफ़ युद्ध ही लड़ रहा है। यूक्रेन की धरती पर हो रही जंग अमेरिका के हथियारों और रूस की सेना के बीच हो रही है। हाल ही में फिनलैंड NATO में शामिल हुआ है। इस हालात में रूस की सेना ने अगर वहां हमला कर दिया तो अमेरिका और NATO देश चुप नहीं बैठेंगे।
फ़िनलैंड के NATO में शामिल होते ही अमेरिकी सेना रूस के एकदम बगल में पहुंच गई है। दरअसल, फ़िनलैंड, रूस के उत्तर-पश्चिम में बाल्टिक सागर के उत्तर में स्थित है। वो रूस के साथ 1340 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। उसकी खाड़ी सामरिक तौर पर पुतिन के लिए काफी अहम है। इसके पूर्वी छोर पर रूस का सेंट पीटर्सबर्ग शहर बसा हुआ है। फ़िनलैंड की सीमा से सेंट पीटर्सबर्ग की दूरी महज 125 km है। और सेंट पीटर्सबर्ग को रूस की आर्थिक राजधानी कहा जाता है।
मतलब ये कि फ़िनलैंड ऐसा दरवाज़ा बन गया है, जिसके एक तरफ पुतिन खड़े हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका की अगुवाई में दुनिया के 31 देशों की सेना है। फिनलैंड के NATO में शामिल होने के बाद बाल्टिक सागर के रास्ते NATO को अब न केवल रूस के सेंट पीटर्सबर्ग तक पहुंचने का रास्ता मिल गया है, बल्कि NATO की पहुंच अब रूस के परमाणु अड्डे तक हो गई है। यहां तक की पुतिन के गुप्त परमाणु ठिकाने अब सीधे NATO के निशाने पर आ गए हैं। यही वजह है कि पुतिन, फ़िनलैंड की अमेरिका के साथ हुई सैन्य डील से तिलमिला गए हैं।
फ़िनलैंड को सबक़ सिखाने के लिए पुतिन पहले ही आर्कटिक महासागर में अपने परमाणु हथियारों की तैनाती तक बढ़ा दी थी। ताकि ज़रूरत पड़ने पर वो फ़िनलैंड के साथ साथ यूरोप के दूसरे देशों और अमेरिका पर भी परमाणु मिसाइल से हमला कर सकें। इसी ख़तरे को भांपते हुए फ़िनलैंड ने NATO का सदस्य बनना बेहतर समझा। NATO के अनुच्छेद पाँच के मुताबिक़ एक सदस्य देश पर हमला पूरे समूह पर हमला माना जाएगा। यानी फ़िनलैंड को NATO का सुरक्षा कवच मिल चुका है। अब अगर रूस ने फ़िनलैंड पर हमला किया तो NATO सेनाएं सीधे उसपर हमला करेगी।