चीन से बढ़ रहे ख़तरों से निपटने के लिए ताइवान (TAIWAN) ने अमेरिका (US) के साथ बड़ा रक्षा समझौता किया है। ताइवान ने अमेरिका से ऐसी ख़तरनाक मिसाइल खरीदी है जो पानी के ऊपर चलते चीनी जहाजों को तबाह कर देगा। ताइवान ने अमेरिका से ख़तरनाक ऐंटी शिप मिसाइल हारपून (HARPOON MISSILE) खरदीने का समझौता किया है। 400 ऐंटी शिप मिसाइल हारपून खरीदने के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग (BOEING) के साथ डील फ़ाइनल हुई है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (pentagon) ने 7 अप्रैल को इस समझौते का ऐलान किया था लेकिन खरीदार का नाम नहीं बताया था। अब पश्चिमी मीडिया के मुताबिक वो देश ताइवान ही है जिसने करीब 1.15 अरब डॉलर यानी भारतीय करेंसी के हिसाब से 96 हजार करोड़ रुपये में 400 हारपून मिसाइलें खरीदी है। इसके साथ ही जल्द से जल्द उसकी डिलीवरी की कोशिश कर रहा है।
इससे पहले ताइवान ने अमेरिका से शिप के जरिए दागी जाने वाली हारपून मिसाइलें खरीदी थीं। लेकिन पहली बार ताइवान को जमीन से शिप पर मार करने वाली हारपून मिसाइल मिलने जा रही है। जो दुनिया की सबसे खतरनाक ऐंटी शिप मिसाइल मानी जाती है।
बताया जा रहा है कि इस मिसाइल को कोई रडार भी नहीं पकड़ पाता है। ये मिसाइ रडार से बचने के लिए पानी के ठीक ऊपर उड़ती है। इसमें ऐक्टिव रडार गाइडेंस सिस्टम लगा होता है, किसी भी मौसम में हारपून मिसाइल का इस्तेमाल हो सकता है। इसके एक मिसाइल का वज़न करीब 700 किलोग्राम है, जिसकी रेंज 250 किलोमीटर है
ताइवान को उम्मीद है कि हारपून मिसाइल से वो समंदर में चीन का मुकाबला कर सकेगा। जिस समंदर में इसी महीने चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेरकर युद्धाभ्यास किया था। चीन ने 8 अप्रैल ताइवान के पास वॉर एक्सरसाइज़ (WAR EXERCISE) शुरू किया था। तीन दिनों तक चले उस एक्सरसाइज़ में चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर (aircraft carrier) ने भी हिस्सा लिया जिससे कुल 172 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी।
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के अमेरिकी दौरे और अमेरिकी संसद के स्पीकर के मुलाकात से चीन भड़का हुआ था, लेकिन ताइवान भी झुकने को तैयार नहीं दिख रहा। ताइवान हारपून मिसाइल ही नहीं बल्कि अमेरिका से एफ-16 फाइटर जेट भी खरीदने की कोशिश में जुटा है।
असल में चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। खुफिया जानकारी के मुताबिक अमेरिकी के करीब 200 सैन्य सलाहकार ताइवान में डेरा डाल कर बैठे हैं। बताया गया कि अमेरिकी सलाहकारों को खास तौर पर ताइवान को आर्मी ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है। साथ ही युद्ध की नीति पर भी चर्चा होगी कि अगर चीन ने हमला किया तो ताइवान के पलटवार का तरीका क्या होगा।