रूस और यूक्रेन युद्ध को एक साल से ज़्यादा का समय हो चुका है। यूक्रेन को खत्म करने पर अमादा रूस हमेशा यूक्रेन के सामने कभी मजबूत दिखा तो कभी कमजोर दिखा। लेकिन रूस की सीमा के अंदर हुए ड्रोन हमले की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं। ये कोई पहली बार ही नहीं है जब यूक्रेन की तरफ़ से रूस में हमले हुए हैं। इससे पहले भी रूस के एयरबेस पर हमला हो चुका है। लेकिन अब मॉस्को के बेहद क़रीब ड्रोन से हमले करके यूक्रेन ने फिर से अपनी ताक़त दिखाई है। ज़ेलेंस्की का ड्रोन पुतिन से महज़ 100 किमी की दूरी पर था, हालांकि इस ड्रोन से रूस में कोई ज़्यादा नुक़सान नहीं हुआ
रूस के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन पर ड्रोन हमले का आरोप लगाया है। इसके साथ ही रूस ने ड्रोन को गिराकर हमलों को नाकाम करने की जानकारी भी दी। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन से कोई चोट नहीं आई और कोई ज्यादा नुकसान भी नहीं हुआ। हालांकि, यूक्रेन ने अभी तक हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन पहले भी यूक्रेन ने कई बार इस तरह के हमलों और तोड़फोड़ की जिम्मेदारी से सीधे तौर पर स्वीकार करने से परहेज किया है।
ड्रोन वाली साज़िश से भड़का पुतिन का गुस्सा
मॉस्को के पास यूक्रेन के ड्रोन का पहुंचना जितना ख़तरनाक है, उतना ही पुतिन के गुस्से को भड़काने के लिए ज़िम्मेदार है। यही वजह है कि एक तरफ़ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सीमा पर सुरक्षा कड़ी करने का आदेश दिया है। प्रशासन ने लोगों को रिहायशी इलाक़ों से सुरक्षित जगहों पर शिफ़्ट कर दिया है। वहीं, दावा किया जा रहा है कि गुस्से से आग बबूला पुतिन यूक्रेन के महाविनाश की योजना बना रहे हैं।
ड्रोन से आ सकती है यूक्रेन में ‘महातबाही’
रूस की सीमा में घुसकर ऐसे घातक हमले बता रहा है कि यूक्रेन का हथियारों का तहखाना बारूद से भर चुका है। यही वजह है कि पुतिन का जीत का सपना हक़ीक़त से हर दिन दूर होता जा रहा है। युद्ध की शुरूआत में पुतिन ने दावा किया था कि महज़ कुछ दिनों में ही यूक्रेन की ज़मीन को रूस के सैनिक जीत लेंगे। लेकिन क़रीब 80 देश यूक्रेन को समर्थन करने के बहाने रूस को आंखे दिखा रहे हैं, हालांकि इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि 1 साल से रूस इन सभी देशों से अकेला लोहा ले रहा है। लेकिन अब ज़ेलेस्की के हाथ पुतिन की गर्दन तक पहुंच गए हैं, जिसके बाद पुतिन के तेवर और भी आक्रामक होना लाजिमी है।
यूक्रेन को लगातार मिल रही हथियारों की मदद और रूस के ख़िलाफ़ उनका इस्तेमाल बताता है कि अमेरिका और नैटो भी सीधे-सीधे इस महायुद्ध में कूद पड़े हैं। हालांकि, अब सवाल है कि पुतिन के सब्र का बांध कब तक बंधा हुआ है। और अगर पुतिन का सब्र टूटा तो युद्ध में परमाणु बम के लाल बटन का इस्तेमाल की संभावना बढ़ जाएंगी। जिसकी संभावना पहले भी कई बार हो चुका है कि जरूरत पड़ने पर रूस परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।