पूरी दुनिया इस वक्त रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से परेशान हैं। युद्ध की वजह से दुनियाभर के देशों में मुसिबतें मुंह खोले खड़ी है। इन्हीं सबके बीच राजधानी दिल्ली में G-20 देश के विदेश मंत्रियों की बैठक होने जा रही है। G-20 देश के विदेश मंत्रियों की ये बैठक राष्ट्रपति भवन के आलीशान हॉल में होने वाली है। जिसमें वैश्विक महंगाई, आतंकवाद, डिजिटल ट्रांसपेरेंसी से लेकर कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी। इस बैठक में यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा होने वाला है। G-20 देश के विदेश मंत्रियों की बैठक का नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
इससे पहले पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में G-20 की बैठक का आयोजन हुआ था। उस बैठक में प्रधानमंत्री के एक बयान की काफी चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ये युद्ध का काल नहीं। अब इस बयान की पृष्ठभूमि में भारत अब तक का सबसे बड़ा G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन कर रहा है। इस बैठक में 40 से अधिक देशों और संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों और रूस के बीच तलवारे खींची हुई है। इस बीच में भारत की अध्यक्षता में अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री भी दोनों आमने सामने होंगे। हालात ऐसे होंगे कि एक हॉल में और एक ही छत के नीचे दोनों देश के विदेश मंत्री बैठे रहेंगे। इस दौरान यूक्रेन और रूस युद्ध एक महत्वपूर्ण विषय होगा।
दिल्ली में हो रही G20 देश के विदेश मंत्रियों की बैठक दो दिवसीय होने वाली है। हालांकि, विदेश मंत्रियों की बैठक का मुख्य दिन 2 मार्च ही रहने वाला है। 2 मार्च को दो सत्रों में खाद्य और ऊर्जा संकट, आतंकवाद समेत 6 मुद्दों पर चर्चा होगी। जिसमें से पहले सत्र में Multilateralism को मजबूत करना और सुधार की जरूरत विषय पर चर्चा होगी। इसके बाद खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही विकासात्मक सहयोग विषय पर चर्चा होगी।
वहीं, विदेश मंत्रियों की बैठक के दूसरे सत्र में तीन विषय पर चर्चा होगी। इसमें Counter Terrorism : New and Emerging Threats के साथ ही Global Skill mapping and talent pool विषय शामिल है। इसके अलावा Humanitarian assistance and Disaster Relief विषय पर भी चर्चा होगी. इन दोनों सत्रों की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे।
G-20 के 20 सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के अलावा भारत की तरफ से 9 अतिथि देशों के विदेश मंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा 13 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी बैक में शामिल होंगे। बैठक के दौरान भारत की सबसे बड़ी चुनौती यूक्रेन मसले पर दोनों पक्षों को एक साथ लाने की होगी। G 20 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त घोषणापत्र भी जारी होता है। ऐसे में सबकी नज़र उस घोषणापत्र पर टिकी है, कि क्या युद्ध के ऊपर कोई संयु्क्त बयान जारी हो पाता है। इस बैठक से पश्चिमी देशों, रूस और तटस्थ देश को यूक्रेन और दुनिया के दूसरे मसले पर एक नई राह की उम्मीद है।
हाल ही में बेंगलुरु में G 20 देश के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई थी। लेकिन गौर करनेवाली बात यह है कि उस दौरान अमेरिका और रूस के बीच युद्ध शब्द का इस्तेमाल करने पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसी वजह से उस बैठक के बाद कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं हो सका था